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‘आगरा के व्यंजन’ भी हैं ख़ास, पर्यटन को बढ़ाने के लिए स्ट्रीट फ़ूड जरूरी

by admin

आगरा। विश्व विख्यात ताजमहल की नगरी आगरा में ताज ही नहीं और भी बहुत कुछ है। यह मीर, नज़ीर और ग़ालिब की कर्मस्थली है तो सूर की साधना स्थली भी है। वार्षिक ताज महोत्सव में पर्यावरण को समर्पित संस्था स्फीहा (SPHEEHA), टूरिज्म गिल्ड ऑफ आगरा एवं उत्तर प्रदेश टूरिज्म द्वारा शनिवार को होटल क्लार्क शिराज में “आगरा बियोंड ताज” सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसकी थीम “आगरा के व्यंजन” थे। सेमिनार का मुख्य उद्देश्य पर्यटकों को आगरा की संस्कृति के साथ उसके खानपान के प्रति जागरूक करना था जिससे पर्यटक ऐतिहासिक स्मारकों का दीदार करने के बाद शहर के प्रतिष्ठित व्यंजनों का भी लुफ्त उठा सके। पर्यटक आगरा में अधिक समय तक रुके जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिले।

सेमीनार के दौरान आगरा शहर के व्यंजनों पर चर्चा करते हुए लोगों ने कहा कि देश विदेश के पर्यटकों को ताजमहल और अन्य ऐतिहासिक मॉन्यूमेंट्स के साथ शहर के विख्यात व्यंजन भी आकर्षित करते रहे है। आगरा के पेठे से तो हर कोई वाकिफ है, तो कई ओर लजीज व्यंजन आगरा के ऐतिहासिक गौरव के साथ जुड़े हुए हैं और पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। अरूण डंग ने अपने वक्तव्य में मुगल युग से आधुनिक आगरा के मशहूर व्यंजनों की विस्तृत रूप से चर्चा की और व्यंजनों में आये बदलाव और जिन व्यंजनों से आगरा शहर को जाना जाता है, उसको सभी के सामने रखा। व्यंजनों की बारीकी जानकारी पाकर सेमिनार में आये लोग उत्साहित नजर आए।

सुशील सरित ने अपने अभिभाषण में छप्पन भोग के अध्यात्मिक अर्थ का वर्णन किया और बताया कि ब्रज से ही छप्पन भोग की प्रथा शुरू हुई जिसके नाम से हर किसी का मन ललचा जाता है। इस सेमिनार में डॉ. राजेन्द्र मिलन ने अपने काव्य के द्वारा आगरा की मशहूर व्यंजनों एवं दुकानों का वर्णन किया।

सेमिनार के दौरान टूरिज्म गिल्ड के अध्यक्ष ने शहर की स्ट्रीट फूड और इसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अपने विचार व्यक्त किए। उनका कहना था कि विदेशो में स्ट्रीट फूड का चलन काफी प्रचलित है। अगर शहर में पर्यटन की दृष्टि से स्ट्रीट फूड की व्यवस्थाओं को बढ़ाया जाए तो पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और पर्यटक भी सभी व्यंजनों का स्वाद ले पाएंगे।

क्लार्क शिराज होटल सीईओ देवाशीष भौमिक ने बताया कि आगरा की संस्कृति में व्यंजनों का भी बहुत महत्व है। उन्होंने बताया कि देश के हर प्रदेश का व्यंजन अलग है जो उस प्रदेश व क्षेत्र की पहचान बना हुआ है। शहर का पेठा व नास्ते में बड़ई, कचौड़ी व जलेबी भी फेमस है जिन्हें हम भुना सकते है।

कार्यक्रम के संयोजक एवं स्फीहा (SPHEEHA)के उपाध्यक्ष राजीव नारायण ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आगरा के व्यंजनों को इस सेमिनार में प्रदर्शित किया गया है। अपने स्वागत भाषण में राजीव नारायण ने कहा कि आजकल गृहणियां आगरा से प्रकाशित घरेलू पत्रिकाओं में प्रकाशित व्यंजनों जैसे चीज फ्राइड राइस को अपने घर में भी बनाती हैं जिसमें आगरा के जायके का ख्याल रखा जाता है। स्फीहा (SPHEEHA) अध्यक्ष असद पठान ने अपने भाषण में आगरा के मशहूर व्यंजनों की चर्चा करते हुए SPHEEHA द्वारा किए गए विभिन्न कार्यों की जानकारी दी।

कार्यक्रम के आयोजकों का कहना है कि इस कार्यक्रम के माध्यम से देश विदेश से आये पर्यटकों को आगरा की संस्कृति एवं उसके खान पान के प्रति जागरूक करना है जिससे पर्यटक आगरा आगमन पर ऐतिहासिक मॉन्यूमेंट्स का भ्रमण करने के बाद इन व्यंजनों का स्वाद लेने के लिए अधिक समय तक शहर में रुके इससे शहर में पर्यटन को बढ़ावा मिले और आगरा के व्यंजनों की खुशबू विदेशो में महके और शहर का नाम ताजमहल के साथ इन स्वादिष्ठ व्यंजनों के लिए भी जाना जा सके।

इस दौरान प्रेम प्रशांत, असद पठान, हरि सुकुमार, अमित श्रीवास्तव, प्रदीप तामता, राजीव नारायण, गुरसरूप सूद, दयाल सरन, प्रदीप सहगल, पी पी श्रीवास्तव, संत भनोट , पंकज गुप्ता, राहुल भटनागर, एस एस श्रीवास्तव, सुदीप पोद्दार, संत प्रकाश और गुरप्यारी मेहरा आदि मौजूद रहे।

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