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आगरा प्रशासन कर रहा है आंकड़ों की बाजीगरी ! सच्चाई का सामना करने से डर रहे अधिकारी

by admin
Agra administration is juggling statistics! Officers are afraid of facing the truth

आगरा। आंकड़ेबाजी में माहिर आगरा जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की पोल खुलने लगी है। दरअसल शुरू से कहा जा रहा था कि आगरा में कोरोना संक्रमित के केस में तेजी से इजाफा हुआ है। इसी कारण आगरा में मौतों की संख्या में भी बड़ी तेजी से इजाफा हुआ है। मगर प्रशासन प्रतिदिन कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत और कोरोना संक्रमित मरीजो की स्थिति के आंकड़ों में हेराफेरी कर रहा है।

दरअसल आपको बताते चलें कि मंगलवार को जिला प्रशासन आगरा द्वारा जारी आंकड़ों के आधार पर आगरा में 494 संक्रमित मरीजों की संख्या दर्शाई गई थी और 11 लोगों की संक्रमण के चलते मौत का आंकड़ा बताया गया। मगर कहीं ना कहीं घोलमाल चल रहा है। जिला प्रशासन आगरा और आगरा का स्वास्थ्य विभाग आंकड़े में कमी कर रहा है जो आने वाले भविष्य के लिए एक बड़ा संकट बन सकता है।

सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी से एक सूची वायरल हुई है। यह सूची आगरा के स्वास्थ विभाग की है। आपको बताते चलें कि यह सूची दिन मंगलवार की है। इस सूची में आगरा में कोरोना संक्रमण मरीजों की संख्या 815 दर्शाई गई है। इतना ही नहीं, सूची में मरीजों के नाम और उम्र के साथ पते भी दर्शाए गए हैं जिससे यह बात प्रमाणित हो जाती है कि आगरा में मंगलवार को 815 के संक्रमण के सामने आए थे। मगर जिला प्रशासन आगरा और स्वास्थ्य विभाग ने इन केसों को छुपाते हुए 494 केसों की संख्या बताई।

इस प्रकरण पर हमारे संवाददाता ने सीएमओ आगरा से जब बात की तो सीएमओ आगरा का कहना है आंकड़ेबाजी का मामला उनके संज्ञान में नहीं है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर माथुर इसे देखते हैं। स्वास्थ्य विभाग के डॉ आर सी माथुर से जब बात की तो डॉक्टर आर सी माथुर का कहना है कि हम स्क्रीनिंग और सैंपलिंग का कार्य देखते हैं। आंकड़े से हमें कोई मतलब नहीं है। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई लेकिन किसी ने भी फिर फ़ोन नहीं उठाया।

यानी स्थिति साफ है कि स्वास्थ्य विभाग जहाँ आंकड़े छुपा रहा है तो वहीं एक दूसरे के पाले में गेंद डालकर स्वास्थ्य विभाग अपनी जान बचा रहा है। हैरानी की बात यह भी है कि स्वास्थ विभाग द्वारा प्रतिदिन कोरोना सैंपलिंग की जांच की जा रही है लेकिन इसकी रिपोर्ट के बारे में सीएमओ जैसे अधिकारी को भी कोई जानकारी नहीं होती, ऐसे में साफ है कि कहीं ना कहीं आंकड़ों की बाजीगरी का खेल जारी है।

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