आगरा। मॉक ड्रिल के खुलासे के बाद अब वे पीड़ित परिवार भी इंसाफ के लिए सक्रिय हो गये हैं, जिन्होंने इस दौरान अपनों की जान गंवायी है। जहां प्रशासन ने हॉस्पीटल सील कर महामारी एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया है। वहीं पीड़ित परिजनों ने न्यू आगरा थाने में तीन अलग-अलग तहरीर देकर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। पूरी घटना की सत्यता जानने के लिए 26 और 27 अप्रैल को हॉस्पीटल में जान गंवाने वाले छह मरीजों के परिजनों से बात की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
केस 1- पुलिस हेड कांस्टेबल अशोक कुमार सिंह ने बताया कि उनकी पत्नी को कोविड -19 लक्षणों के कारण श्री पारस अस्पताल के जनरल वार्ड में भर्ती कराया गया था। उसे ऑक्सीजन की जरूरत थी लेकिन आखिरी बार जब उन्होंने उसे देखा तो उसकी हालत गंभीर नहीं थी। घंटों बाद, उन्हें बताया गया कि वह मर गई थी। उन्होंने बताया कि वो वहां मौजूद थे। जनरल वार्ड से ऑक्सीजन सप्लाई को वीआईपी रूम और आईसीयू में डायवर्ट कर दिया गया। बेसमेंट में रिजर्व ऑक्सीजन सिलेंडर थे लेकिन जनरल वार्ड में मरीजों की देखभाल करने वालों को अपने मरीज को ले जाने या ऑक्सीजन सिलेंडर लेने के लिए कहा गया था। उन्होंने मेरी पत्नी की मृत्यु का कोई कारण नहीं बताया और मुझे एक दिन के अस्पताल में भर्ती होने के लिए 80,000 रुपये का बिल भी थमा दिया।
केस 2 – राजस्व विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी नत्थी लाल त्यागी ने भी उस दिन अपनी पत्नी को खो दिया था। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी को 15 अप्रैल को भर्ती कराया गया था। 26 अप्रैल को, अस्पताल ने ऑक्सीजन सिलेंडर लाने या मरीज को ले जाने के लिए कहा। वो जैसे तैसे एक सिलेंडर लाने में सफल हुए लेकिन अस्पताल ने दूसरे की मांग की। जब दूसरा सिलेंडर लाने की जुगाड़ में लगे हुए थे तभी सूचना दी गयी कि पत्नी का निधन हो गया।
केस 3 – हेड कॉन्स्टेबल सिंह की तरह पुनीत वर्मा को भी उसकी चाची की मौत का कोई कारण नहीं बताया गया। उन्होंने बताया कि उनकी चाची (62) 25 अप्रैल तक उनसे बात कर रही थीं और खा पी रही थीं। जब उन्हें कोविड वार्ड में ले जाया गया तब उन्हें गंभीर लक्षण नहीं थे। अगली शाम, अस्पताल द्वारा बताया कि वह मर गई, लेकिन यह नहीं बताया कि कैसे। उन्होंने बताया कि सामान्य रोगियों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद कर दी थी। रिजर्व ऑक्सीजन को वीआईपी के लिए रखा हुआ था।
केस 4 – परिस्थितियों का शिकार हुए विशाल शर्मा ने बताया कि अस्पताल ने 26 अप्रैल को कोविड वार्ड के सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए। शाम को, अस्पताल के दो कर्मचारियों ने बताया कि उनकी माँ (68) की मृत्यु हो गई है।
केस 5/6 – जीवनी मंडी के कृष्णानगर कॉलोनी निवासी अशोक चावला ने भी पारस अस्पताल में मॉक ड्रिल की अवधि के दिनों में अपने पिता और छोटे भाई की पत्नी को खोया था। अशोक चावला ने इस पूरे घटनाक्रम को मेडिकल प्रोफेशन के खिलाफ बताते हुए अमानवीय कृत्य करार दिया है। उनका कहना है कि आरोपी संचालक के खिलाफ हत्या की धाराओं में मुकद्दमा दर्ज करने के लिए तहरीर दी गयी है।
केस 7 – छीपीटोला के रहने वाले पेशे से वकील प्रकाश चंद ने बताया कि उन्होंने अपने पिता डालचंद को 25 अप्रैल को पारस अस्पताल में एडमिट कराया था। अगले दिन 26 अप्रैल को उन्हें ऑक्सीजन क्राइसिस की जानकारी दी गई। उन्होंने जैसे-तैसे ऑक्सीजन की व्यवस्था की लेकिन 27 अप्रैल की सुबह अचानक उनके पिता की मौत की जानकारी दी गई।