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जातिगत समीकरण बदल जाने के बाद पंचायत ने अपने फैसले से फिर जीता दिल, शिक्षित बेटी ही बनेगी प्रधान

by admin
After changing the caste equation, the panchayat won the heart again with its decision, only the educated daughter will become the head

Agra. उत्तर प्रदेश के एक गांव की पंचायत कर सर्व सम्मति से गांव की बेटी को (अनारक्षित) प्रधान बनाने का फैसला लेकर पूरे देश के लिए एक मिशाल कायम की थी लेकिन पंचायत चुनाव पर आए ताजा फैसले के बाद अब यहां आरक्षण सीट पर प्रधान का चुनाव लड़ा जाना है। इसके बाद गाँव की पंचायत ने अपने फैसले से फिर एक बार दिल जीतने का काम किया है। प्रधान की सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हो जाने के बाद एक बार फिर पंचायत हुई। उसमें शिक्षित बहू कल्पना को प्रधान चुनने का निर्णय लिया गया।

आगरा जिले के जैतपुर क्षेत्र के बड़ागांव में अनारक्षित सीट होने पर सामाजिक पंचायत ने 14 मार्च को गांव की शिक्षित बेटी सरला सिंह गुर्जर को प्रधान बनाने का फैसला किया था लेकिन इस सीट पर जातिगत आरक्षण बदलने और प्रधानी की सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित होने पर रविवार को दोबारा पंचायत की गई। इसमें शिक्षित बहू कल्पना को प्रधान चुनने का निर्णय लिया गया।

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गांव के हनुमान मंदिर पर सभी समाज के लोग जुटे। करीब तीन घंटे चली पंचायत में गांव की परास्नातक बहू कल्पना को ग्राम पंचायत की बागडोर सौंपने पर सभी राजी हुए। कल्पना ने कहा कि गांव में जल निकासी के लिए नालियां, पीने के लिए पानी, खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए शौचालय का निर्माण, पंचायत घर और बुजुर्ग, विधवाओं को पेंशन दिलाना प्राथमिकता होगी। बड़ा गांव के इस फैसले की चर्चा आसपास के अन्य गांवों तक रही।

पंचायत के निर्णय से सुर्खियों में आई कल्पना ने बताया कि उच्च शिक्षित बनने के लिए ही 23 अप्रैल 2000 को शिक्षक शिव नारायन से शादी की। पति ने शादी के बाद उन्हें इंटरमीडिएट, स्नातक, परास्नातक और बीएड की पढ़ाई कराई। दो साल पति के साथ चौधरी क्षेत्रपाल सिंह डिग्री कॉलेज में अध्यापन कार्य भी किया। उन्होंने बताया कि पिछड़े तबके की बेटियों की शिक्षा उनकी प्राथमिकता है। गांव की तरक्की और विकास के लिए संघर्ष का पंचायत ने अवसर दिया है।

बड़ागांव में हुई पंचायत के इस फैसले की गूंज आसपास के गांवों में भी गूंज रही है और इस फैसले की सराहना भी हो रही है। लोगों का कहना है कि पंचायत का यह फैसला महिला सशक्तिकरण को तो बढ़ावा दे रहा है वहीं यह भी जता रहा है कि अगर प्रत्याशी बेहतर और शिक्षित हो चाहे वह महिला हो या पुरुष उसे ही चुना जाना चाहिए।

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