आगरा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) पर पर्यावरण को क्षति पहुंचाने व मानव स्वास्थ्य के लिए संकट पैदा करने के मामले में 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई नालंदा टाउन का सीवर खुले में बहने पर की गई है। इसके साथ ही अनट्रीटेड सीवेज को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तक पहुंचाने की जिम्मेदारी एडीए उपाध्यक्ष की तय की गई है।
शमसाबाद रोड स्थित हाउसिंग कॉलोनी नालंदा टावर का सीवेज एकता चौकी के पास खुली जमीन पर बहाए जाने पर देवांशु बोस ने एनजीटी में याचिका दायर की थी। प्रतिदिन 1.45 लाख लीटर सीवेज खुले में बह रहा था। एनजीटी ने एक दिसंबर, 2021 को एडीए, डीएम और उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कमेटी बनाते हुए रिपोर्ट मांगी थी। साथ ही निर्देश दिए थे कि यदि बजट उपलब्ध नहीं है तो कॉलोनी में रहने वाले लोगों से पर्यावरण संरक्षण व जनता के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए धनराशि एकत्र की जाए। कमेटी ने मामले में 22 फरवरी को एनजीटी में रिपोर्ट दाखिल की।
कमेटी ने माना कि मानकों के अनुसार सीवेज का निस्तारण नहीं हो रहा है। सीवेज का निस्तारण जमीन पर किया जा रहा है, जो नाली से जुड़ी है। वहां सीवर लाइन नहीं है, जबकि नालंदा टाउन द्वारा आंतरिक और बाह्य विकास शुल्क के रूप में करीब 1.3 करोड़ रुपये जमा कराए गए हैं।