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मित्रता में कभी धन दौलत आड़े नहीं आती

by admin

आगरा। मनुष्य स्वंय को भगवान बनाने के बजाय प्रभु का दास बनने का प्रयास करे क्योंकि भक्ति भाव देख कर जब प्रभु में वात्सल्य जागता है तो वे सब कुछ छोड कर अपने भक्तरूपी संतान के पास दौडे चले आते हैं। गृहस्थ जीवन में मनुष्य तनाव में जीता है जब कि संत सद्भाव में जीता है। यदि संत नहीं बन सकते तो संतोषी बन जाओ। संतोष सबसे बडा धन है। मिलन बैण्ड परिवार के सौजन्य से विजय नगर कॉलोनी के अभिनंदन पुरुषोत्तम ग्रीन मे चल रही आठ दिवसीय भागवत कथा के समापन पर व्यास पीठ से आचार्य गोपाल भैया ने यह बाते कही।

श्रीमद्भागवत कथाज्ञान यज्ञ के सातवें दिन श्रीकृष्ण भक्त एवं बाल सखा सुदामा के चरित्र का वर्णन, श्रीमद्भागवत तथा श्रीव्यास पूजन किया। कथावाचक आचार्य गोपाल भैया ने कथा के दौरान श्रीकृष्ण एवं सुदामा के मित्रता के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सुदामा के आने की खबर पाकर किस प्रकार श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे। “पानी परात को हाथ छूवो नाही, नैनन के जल से पग धोये।” श्री कृष्ण अपने बाल सखा सुदामा की आवभगत में इतने विभोर हो गए के द्वारका के नाथ हाथ जोड़कर और अंग लिपटाकर जल भरे नेत्रों से सुदामा का हालचाल पूछने लगे। उन्होंने बताया कि इस प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मित्रता में कभी धन दौलत आड़े नहीं आती।

आचार्य ने सुदामा चरित्र की कथा का प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। आचार्य गोपाल भैया ने कहा कि ‘स्व दामा यस्य स: सुदामा’ अर्थात अपनी इंद्रियों का दमन कर ले वही सुदामा है। सुदामा की मित्रता भगवान के साथ नि:स्वार्थ थी। उन्होंने कभी उनसे सुख साधन या आर्थिक लाभ प्राप्त करने की कामना नहीं की लेकिन सुदामा की पत्नी द्वारा पोटली में भेजे गये चावलों में भगवान श्री कृष्ण से सारी हकीकत कह दी और प्रभु ने बिन मांगे ही सुदामा को सब कुछ प्रदान कर दिया।

भागवत ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन कथा मे सुदामा चरित्र का वाचन हुआ तो मौजूद श्रद्धालुओं के आखों से अश्रु बहने लगे। उन्होंने कहा श्री कृष्ण भक्त वत्सल हैं। सभी के दिलों में विहार करते हैं जरूरत है तो सिर्फ शुद्ध ह्रदय से उन्हें पहचानने की| श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन सुदामा चरित्र की कथा सुनकर एवं कृष्ण एवं सुदामा के मिलन की झांकी का द्रश्य देख कथा स्थल में मौजूद समस्त भक्तगण भाव विभोर हो गये। कथा के अंत में फूलो की होली व शुकदेव विदाई का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भरत शर्मा, धर्मेंद्र शर्मा, मोहिनी शर्मा, वर्षा शर्मा, अशोक गोयल, अखिल जैन, केशव अग्रवाल, वीरेन मित्तल, राहुल शर्मा, जय प्रकाश शर्मा, मधु गोयल, सीमा सिंघल, राजीव अग्रवाल, अंकिता, हर्ष, आर्यन, गौरी, नंदनी, नेहा आदि मौजूद रहे।

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