आगरा। कल यानि 25 अगस्त 2022 को वर्षों बाद महामुहूर्त। बन रहा गुरू पुष्य नक्षत्र योग। साथ में दस महायोग। खरीदारी का शुभ मौका। साल में दो या तीन बार ही बनता है ऐसा योग। जानिए पूरी खबर।
कल 25 अगस्त 2022 है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन दुर्लभ गुरू पुष्य नक्षत्र योग बनने जा रहा है। साल में ऐसा मौका दो से तीन बार ही आता है। विशेष बात यह है कि इस दिन दस महायोग भी हैं, जो इस दिन को और ज्यादा शुभ बना रहे हैं।
ज्योतिषाचार्य आचार्य सैयद इमरान ने बताया कि इस दिन अगर आप खरीदारी करते हैं तो यह काफी शुभ रहती है। ऐसे शुभ अवसर या यूं कहें कि इस विशेष योग में आप गृह मकान खरीद सकते हैं, जमीन में पैसा इनवेस्ट कर सकते हैं। वाहन और आभूषण भी खरीद सकते हैं। गृह प्रवेश भी कर सकते हैं। ऐसा करना काफी शुभ माना गया है।
उन्होंने बताया कि गुरूवार 25 अगस्त 2022 को गुरू पुष्य नक्षत्र योग शुरू हो जाएगा। यह 27 नक्षत्रों में सबसे उत्तम है। साथ ही सबसे अधिक शुभ फल देने वाला है। उन्होंने बताया कि पुष्य नक्षत्र शाम चार बजकर 50 मिनट तक रहेगा। हालांकि, गुरूवार को पूरे दिन इस महामुहूर्त में सभी तरह के शुभ कार्य करने से शुभ फल प्राप्त होंगे।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस प्रकार से दिवाली में शुभ काम करने से और शुभ खरीदारी से जीवन में सुख समृद्धि आती है, उसी प्रकार से गुरू पुष्य नक्षत्र के संयोग पर शुभ कार्य की शुरूआत करना और नई चीजों की खरीदारी करना अत्यंत शुभ फलदायी है।
एक मीडिया वेबसाइट के अनुसार, 25 अगस्त 2022 गुरूवार के दिन दस महायोग के साथ गुरू पुष्य नक्षत्र का संयोग 1500 सालों बाद दोबारा बन रहा है।
ये होंगे दस महायोग
सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि और वरियान नाम के तीन बड़े और शुभ योग के साथ दस योग बन रहे हैं। इनमें शुभकर्तरी, वरिष्ठ, भास्कर, उभयचरी, हर्ष, सरल और विमल नाम जैसे राजयोग भी हैं। पांच ग्रहों का संयोग भी है।
ज्योतिषाचार्य आचर्य इमरान के मुताबिक, गुरूवार के दिन सूर्य सिंह राशि, गुरू मीन राशि में, शनि मकर राशि में, बुध कन्या राशि में और चंद्रमा कर्क राशि में रहेंगे। विशेष बात यह है कि इस दिन सभी पांच ग्रह अपनी स्वयं की राशि में रहेंगे।
खास तरह का योग
इसके अलावा शनि और गुरू दोनों ग्रह खास तरह का योग भी बना रहे हैं। दोनों ही ग्रह अपनी स्वयं की राशि में हैं। साथ ही शनि ग्रह पुष्य नक्षत्र का स्वामी है और पुष्य नक्षत्र के देवता गुरू ग्रह हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बृहस्पति देव भी इसी नक्षत्र में पैदा हुए थे। नारद पुराण के अनुसार, इस नक्षत्र में जन्मा जातक महान कर्म करने वाला, धार्मिक, बलवान, कई कलाओं का जानकार, दयालु और सच बोलने वाला होता है।