आगरा। पूजा करते-करते पूज्य बनने की घड़ी है चातुर्मास। चातुर्मास सिर्फ जैन समाज ही नहीं बल्कि जनकल्याणक है। यह चार माह के समय आत्म कल्याण और आत्म दर्शन का समय है। इसलिए जाग जाओ।
पूजा करते-करते पूज्य बनने की घड़ी है चातुर्मास। चातुर्मास सिर्फ जैन समाज ही नहीं बल्कि जनकल्याणक है। यह चार माह के समय आत्म कल्याण और आत्म दर्शन का समय है। इसलिए जाग जाओ। सर्वांगभूषण आचार्य 108 श्री चैत्य सागर जी महाराज ससंघ ने यह वचन श्रीअग्रवाल दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर, मोती कटरा में सम्भव नाथ पार्श्वनाथ वर्षायोग समिति, सकल दिगम्बर जैन व आगरा दिगम्बर जैन परिषद द्वारा आयोजित चातुर्मास कलश स्थापना के अवसर पर कहे।

कार्यक्रम का शुभारम्भ जीपक जैन ने मंगलाचरण गाकर किया। इस अवसर पर 24 कलश स्थापित किए गए। सर्प्रथम परमपूज्य वात्सल्य रत्नाकर आचार्य श्री 108 विमलसागर जी महाराज के चित्र का अनावरण व दीप प्रज्ज्वलन किया गया। मुख्य कलश विकास जैन, प्रदीप जैन, भोलानाथ सिंघई, विमलेश मार्सन्स, निर्मल मोठ्या, हीरालाल बैनारा द्वारा कलश स्थापित किए गए।
इसके साथ स्रीफल भेंट, पाल प्रक्षालन, शास्त्र भेंट, माताजी को वस्त्र भेंट, महाराज से वर्षा योग स्थापना की विनती आगरा सहित ग्वालियर, जयपुर, गोहाटी, कलकत्ता आदि स्थानों से आए श्रद्धालुओं द्वारा की गई। रिद्धि जैन, प्रिंसी जैन आदि द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। संचालन मनोज जैन ने किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से मुख्य संरक्षक विष्णु कुमार जैन, चंद्रप्रभा जैन, प्रदीप जैन, भोलानाथ सिंघई, विमलेश जैन, निर्मल मोठ्या, हीरालाल बैनाड़ा, मुख्य संयोजक राकेश जैन, संयोजक पवन जैन, अनन्त कुमार जैन, विवेक जैन, सत्य प्रकाश गोयल, अनिल जैन, राजीव कुमार जैन, उषा जैन आदि मौजूद थे।
