आगरा। यहां माया और भगवान आमने-सामने है। अमूमन तौर पर आम जीवन में कहा जाता है कि माया से बढ़कर भगवान होता है । मगर सियासत में भगवान से बढ़कर माया हो गई है। लोग कहते थे कि माया ही सब कुछ है। माया ही की माया है। बिना माया के जीवन में कुछ नहीं है मगर यह देखा जा रहा है कि माया भगवान पर भी हावी है।
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश की सियासत बहुजन समाज पार्टी की। बसपा में पूर्व विधायक रहे और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के पुत्र भगवान सिंह कुशवाहा पर मायावती का चाबुक चल गया है। गबन के गंभीर आरोप लगाकर माया ने भगवान को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
मानव जीवन में जिस भगवान की पूजा होती हो, जिस भगवान से माया हो वही सियासत में माया भगवान पर हावी है। भगवान के बाहर के रास्ते दिखाए जाने के बाद आगरा की राजनीति में भूचाल आ गया है।
पहले गबन का आरोप लगाकर भगवान को राजनीति से बाहर का रास्ता दिखाया तो अब मीडिया से मुखातिब भगवान भी माया पर तीखा प्रहार कर रहे हैं। बातचीत में माया पर प्रहार करते हुए भगवान ने कहा कि जब समय बुरा आता है तो मत मारी ही जाती है। इतना ही नहीं मीडिया से बोलते हुए पूर्व विधायक भगवान सिंह कुशवाहा के बयान में दर्द छलक रहा था और इस सियासत में भगवान सिंह का निष्कासन। फिल्म दे दना दन के गाने के बोल याद दिलाता है तू पैसा पैसा करती है तू पैसे पर क्यों मरती है।
बसपा से दूरी बना चुके अब भगवान सिंह ने खेरागढ़ की जनता के कंधे पर यह बोझ डाल दिया है। मानव जीवन में भगवान के भरोसे जनता होती थी तो अब राजनीति में भगवान जनता के भरोसे हैं।
यानि स्थिति साफ है कि भगवान सिंह कुशवाहा कहते हैं कि खेरागढ़ की जनता आगे का रास्ता तय करेगी। बात इतनी होती तो भी गनीमत थी। मामला आगे बढ़ चुका है। गबन के आरोप लगने से गुस्से में पूर्व विधायक भगवान सिंह कुशवाहा ने कहा 2017 के विधानसभा चुनावों में गैर राजनीतिक दलों ने उन्हें विधानसभा का टिकट और चुनाव लड़ने का प्रलोभन दिया तब भगवान ने माया का साथ नहीं छोड़ा। समझा जाता था कि माया और भगवान एक दूसरे के पूरक हैं मगर गुरुवार को वह पल आया जब माया ने भगवान का निष्कासन किया तो अब माया और भगवान आमने सामने हैं।