भारत में वैवाहिक आंकड़ों के मुताबिक हर 4 में से 3 भारतीय महिलाओं को शादी के प्रोसेस के दौरान उनके लुक्स के आधार पर रिजेक्ट कर दिया जाता है। समाज द्वारा की जाने वाली ऐसी परख को लेकर Dove ने अपना समाज से जुड़ा विज्ञापन चलाकर समाज की सोच को बदलने की मुहिम छेड़ी है। अक्सर देखा जाता है कि लड़कियों को शादी के लिए देखने वाले लोग इस कदर ठोक बजाकर देखते हैं जैसे किसी सामान को दुकान से लिया जाता है। शायद वे उस वक्त ये भूल जाते हैं कि उस लड़की की भावनाएं कितनी आहत होती होंगी जब उसकी एक एक कमी को सामने रखा जाता है।
कभी कहा जाता है कि लड़की का रंग सांवला है, तो कभी लंबाई को लेकर रिजेक्शन होते हैं।कभी कहा जाता है कि लंबाई कम है तो कभी कहा जाता है कि लंबाई ताड़ जैसी है।कभी चेहरे के हल्के दाग को भी ऐसे देखा जाता है जैसे कि उस लड़की को कोई भयंकर बीमारी हुई हो। बिल्कुल ऐसे ही मोटापे को लेकर भी ढेरों सवाल खड़े कर दिए जाते हैं।जबकि लंबाई कम या ज्यादा होना या रंग सांवला होने में या पिंपल्स होने में लड़की किसी प्रकार से भी दोषी नहीं होती। उसके बाद भी उसे समाज कि यह बदसूरत परख दिन प्रतिदिन घुटने के लिए मजबूर कर देती है।
लेकिन अब Dove की ओर से ऐसे लोगों को सीख देने के लिए एक मुहिम छेड़ी गई है जिसमें समाज को वास्तविकता से रूबरू कराते हुए ब्यूटी टेस्ट स्टॉप करने की हिदायत दी गई है। साथ ही उन लड़कियों को जोकि रिजेक्शन का सामना कर चुकी हैं, उनकी कहानी को सामने लाया जा रहा है ताकि अन्य लोग खूबसूरती की ऐसी बदसूरत परख करना बंद कर दें।Dove का मानना है कि खूबसूरती का टेस्ट करने की जरूरत नहीं है, हर औरत खूबसूरत है।Dove ने ऐसी लड़कियों की कहानियों को अपने विज्ञापन में साझा किया है और यह आत्मविश्वास जगाया है कि वे किसी से कम नहीं है।