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भाजपा सांसद का फ़र्ज़ी फेसबुक एकाउंट बनाकर मांगे गए 25-25 हज़ार रुपये, जाने क्या है सच्चाई

by admin

आगरा। गौरतलब है कि फेसबुक पर फ़र्ज़ी एकाउंट बनाकर मैसेंजर द्वारा उसी फेसबुक के परिचितों और रिश्तेदारों से पैसे मांगने का शातिराना ख़ेल कई दिनों से चल रहा है। शुरुआत में इस कई लोग इस ठगी के शिकार हुए बाद में धीरे-धीरे जागरूकता आई। अभी तक छिपे हुए ये शातिर आगरा शहर में आम लोगों के ही फ़र्ज़ी एकाउंट बनाकर ठगी का ख़ेल कर रहे थे लेकिन अब शातिरों ने जनप्रतिनिधियों और नेताओं को भी शिकार बनाना शुरू कर दिया है। ताज़ा मामला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और फतेहपुर सीकरी के सांसद राजकुमार चाहर से जुड़ा है। शातिरों द्वारा उनका फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाकर लोगों को संदेश भेजकर रकम मांगी जा रही है। एक-एक से 25 हजार रुपये तक मांगे गए हैं। संदेश में लिखा है कि बीमारी के उपचार के लिए रकम भेजिए। इसकी जानकारी सांसद के पास भी पहुंची है। उनका कहना है कि वह मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई कराएंगे।

फर्जी अकाउंट पर सांसद का वही फोटो लगा है जो असली पर लगा है। हालांकि फोटो के नीचे लिखा है लिव्स इन अहमदाबाद यानी अहमदाबाद में रहते हैं। एक महीना पहले सांसद को बुखार आया था। तब वह दिल्ली में थे। माना जा रहा है कि फर्जी एकाउंट उसी समय बनाया गया है। फेसबुक मैसेंजर के जरिए भेजे गए संदेशों में बीमारी के उपचार के लिए पैसे की मांग की गई है।

फर्जी एकाउंट से मैसेंजर के जरिए भेजे गए संदेश –
संदेश : हेलो
जवाब : बोलिए
संदेश : कहां पर हो
जवाब : क्या हुआ… घर पर हूं
संदेश : एक छोटा सा काम है
जवाब : बोलिए
संदेश : कुछ पैसे चाहिए
जवाब : कितने
संदेश : 25000
जवाब : कैसे दे पाऊंगा.. आपका गूगल पे एकाउंट क्या है
संदेश : 9090…. (खाते का पूरा नंबर है)
जवाब : 30 मिनट में करता हूं
संदेश : थोड़ा जल्दी करना

सांसद राजकुमार चाहर ने कहा कि मुझे भी जानकारी मिली है। लोग झांसे में न आएं। मेरा एक ही फेसबुक एकाउंट है। इसकी साइबर सुरक्षा के उपाय भी किए गए हैं। किसी ने फर्जी एकाउंट बनाया है। एसएसपी से शिकायत कर मुकदमा दर्ज कराऊंगा। 

साइबर एक्सपर्ट दाशि शर्मा ने बताया कि यह एक नए प्रकार की फिशिंग है जिसमे साइबर अपराधी  प्रभावशाली व्यक्ति का उसके असली फेसबुक अकाउंट से प्रोफाइल और कवर फोटो डाउनलोड करके उसी तरह की दूसरी प्रोफाइल तैयार कर लेता है। इसके माध्यम से लोगों को फंसाया जाता है। व्यक्ति उसे असली फेसबुक अकाउंट समझ कर अपनी मित्रता सूची में शामिल कर लेता है। उसके बाद साइबर अपराधी आईडी में जुड़े सभी लोगों को बारी-बारी से पर्सनल मैसेज कर ठगी की कोशिश करता है।

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