आगरा। आगरा के नगर निकाय चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं को निर्णायक वोट बैंक माना जा रहा था। यह कयास लगाए जा रहे थे की भाजपा ने मुस्लिम मतदाताओं के वोट बैंक में सेंध लगा दी है। अगर मुस्लिम मतदाताओं का वोट भाजपा को नहीं मिले तो यह वोट सपा-बसपा और मुस्लिम समाज के वरिष्ठ नेता चौधरी बशीर व अन्य मुस्लिम प्रत्याशी को मिल जाए लेकिन मतदान के दिन ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला।
मुस्लिम मतदाताओं ने इस बार भाजपा की रणनीति को समझते हुए अपने मत का प्रयोग सोच समझ कर किया। मुस्लिम मतदाता यह भी जानता था कि कौन सी पार्टी निकाय चुनाव में उनको तवज्जो दे सकती है और ऐसे में बसपा पार्टी का नाम सबसे ऊपर रहा। मुस्लिम मतदाताओं के जहन में मुस्लिम नेता चौधरी बशीर का नाम भी उतरा और मुस्लिम मतदाताओं ने चौधरी बशीर को भी निराश नहीं किया।
सूत्रों की माने तो मुस्लिम मतदाताओं ने चौधरी बशीर के साथ-साथ बसपा पार्टी को भी पूरी तवज्जो दी। इसका नतीजा यह रहा कि मुस्लिम मतदाताओं के अच्छे खासे वोट बसपा पार्टी को पड़े।
निकाय चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं की नस टटोलने के लिए मून ब्रेकिंग की टीम ने मुस्लिम बाहुलय क्षेत्रों में भ्रमण किया और मुस्लिम मतदाताओं से वार्ता भी की तो इस वार्ता के दौरान चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। मुस्लिम मतदाताओं का कहना था कि चौधरी बशीर मुस्लिम समाज के नेता हैं लेकिन वह फाइट में नहीं है। हां अगर भाजपा को कोई टक्कर दे रहा है तो वह इस समय बसपा पार्टी है। इसलिए अगर किसी के परिवार में 5 वोट भी हैं तो तीन बसपा को और दो चौधरी बशीर को जा रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि मुस्लिम मतदाताओं ने सपा पार्टी से किनारा कर लिया हो। कुछ मुस्लिम नेता जो सपा और कांग्रेस के पदाधिकारी हैं उन्होंने अपनी अपनी पार्टी को ही वोट किया है। लेकिन अन्य मतदाताओं की बात मानी जाए तो तवज्जो बसपा को ज्यादा रही है। निकाय चुनाव में भाजपा की ओर से जिस तरह से तीन तलाक के मुद्दे को कुछ समय पहले उठाया गया था और यह जताने का प्रयास किया गया था कि भाजपा मुस्लिम हितों के लिए कार्य कर रही है तो भाजपा की यह रणनीति भी निकाय चुनाव में बिल बिल्कुल भी कारगर साबित नहीं हुआ। साथ ही इस बार जो मुस्लिम मतदाताओ के वोट कटे है उसका गुस्सा भी मुस्लिम मतदाताओं ने भाजपा पर निकाला है जिसकी चोट वोट के माध्यम से की गयी है।
यह तय है कि मुस्लिम मतदाताओं ने भाजपा की धड़कने जरूर बढ़ा दी हैं। क्योकि मुस्लिम मतदाता ही तय करने वाला है कि इस बार निगम पर किसका कब्जा होगा।
रिपोर्ट – सतेंद्र कुमार, आगरा