उत्तर प्रदेश परिवहन निगम पूरे प्रदेश में 12000 से अधिक बसों को सड़कों पर दौड़ा रहा है। पूरे प्रदेश में परिवहन विभाग की बसों से करीब 1.5 मिलियन यात्री प्रतिदिन आवागमन करते हैं लेकिन परिवहन विभाग के कुछ कर्मचारियों का कॉकस विभाग को प्रतिदिन लाखों रुपए का चूना लगा रहा है। कर्मचारियों के इस कॉकस के लिए परिवहन विभाग की बसें मनी ट्रेन बन चुकी हैं।
पिछले दिनों इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के एक चैनल ने इस घोटाले से सम्बंधित प्रदेश के परिवहन निगम और उनके कर्मचारियों की पोल खोली थी लेकिन इसके बावजूद भी इस कॉकस पर अभी तक लगाम नहीं लग पाई न हैै। इसी का नतीजा है कि परिवहन विभाग में दिन प्रतिदिन घोटाले की परतें खुलती जा रही हैं।
शनिवार को भी सड़कों पर दौड़ने वाली परिवहन विभाग की बसों का एक घोटाला सामने आया। विभाग को चूना लगाने वाले कोकस में शामिल बस कंडक्टर ने ड्राइवर की मदद से पूरी बस को ही गायब कर दिया। घोटाले का खुलासा शनिवार को एक चेकिंग के दौरान हुआ। आगरा-अलीगढ़ मार्ग पर बरोस गांव के निकट बने टोल पर टी.एस. राघवेंद्र सिंह चेकिंग कर रहे थे इस रूट से हाथरस डिपो की बस जा रही थी। टीएस राघवेंद्र सिंह ने बस नंबर यूपी 86 E 9748 को रोका। बस की चेकिंग के दौरान पता चला कि बस में कंडक्टर नहीं है। ड्राइवर सतेन्द्र सिंह बस को लेकर जा रहा था। टी एस राघवेंद्र सिंह ने अपने दल बल के साथ चेकिंग कर रहे थे। टी एस राघवेंद्र सिंह ने यात्रियों से टिकट मांगा तो पता चला कि कंडक्टर ने किसी को टिकट नहीं दिया। बल्कि उनसे पैसे ले लिए थे। इस पूरे मामले से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यह नेटवर्क बहुत मजबूत है इसलिए इस कॉकस में शामिल कर्मचारी पूरी बस को ही उड़ाए जा रहे है और सरकारी राजस्व से अपनी जेब भर रहे है।
इस मामले में टी एस राघवेंद्र सिंह व अन्य अधिकारियों से बातचीत करने का प्रयास किया गया तो अधिकारियों ने मामला हाथरस डिपो का होने पर जानकारी देने से हाथ खड़े कर दिए। वही टीएस राघवेंद्र सिंह कहते है कि इस मामले की रिपोर्ट पहले अधिकारियों को सौंपी जाएगी उसके बाद ही मीडिया से बातचीत हो सकेगी। बताया जाता है कि इस बस में देश दीपक नाम का कंडक्टर था। जो हाथरस डिपो से इस बस को लेकर निकला था। लगातार यह मामला जोर पकड़ रहा है जबकि अधिकारी शायद इसे हलके में ले रहे है।
रिपोर्टर – सतेंद्र कुमार (आगरा)