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वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे : एसओएस ने कैप्टिव एनिमल्स के प्रबंधन पर कार्यशाला का किया आयोजन

by admin
World Wildlife Day: SOS organizes workshop on management of captive animals

आगरा। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे (विश्व वन्यजीव दिवस) के अवसर पर, वाइल्डलाइफ एसओएस ने उत्तर प्रदेश वन विभाग के साथ, गोरखपुर चिड़ियाघर (शहीद अशफाक उल्लाह खान प्राणि उद्यान) के ज़ूकीपर्स और पशु चिकित्सा अधिकारियों के लिए ‘कैप्टिव एनिमल्स के कल्याण और प्रबंधन’ पर आगरा भालू संरक्षण केंद्र और मथुरा स्थित हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र पर कार्यशाला का आयोजन किया।

दो दिवसीय कार्यशाला को तीन बैचों में विभाजित किया गया है, जिनमें से पहला बैच 2-3 मार्च को गोरखपुर चिड़ियाघर के ज़ूकीपर्स, पशु चिकित्सकों और अधिकारियों सहित 10 प्रतिभागियों के लिए आयोजित किया गया है। कार्यशाला का आयोजन कैप्टिव एनिमल्स के संरक्षण और मानवीय प्रबंधन तकनीकों में सुधार के उद्देश्य से किया गया है।

कार्यशाला का पहला दिन आगरा भालू संरक्षण केंद्र में हुआ जहां जंगली जानवरों के बचाव, उनके पुनर्वास और स्वास्थ्य प्रबंधन जैसे विषयों पर वाइल्डलाइफ एसओएस के एक्सपर्ट्स द्वारा ज्ञान साझा किया गया। बैजूराज एम.वी, डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, वाइल्डलाइफ एसओएस ने ‘जंगली जानवरों के कल्याण, बचाव और पुनर्वास के महत्व’ पर बात की और डॉ. एस, इलियाराजा, उप निदेशक-पशु-चिकित्सा सेवाओं ने ‘बचाए गए वन्यजीवों के स्वास्थ्य प्रबंधन’ पर बात कर सुझाव दिए। इसके बाद फील्ड डीमोंसट्रेशन सेशन हुआ जिसमे केंद्र में रह रहे भालुओं का मानवीय प्रबंधन तकनीकों के इस्तमाल से कैसे स्वास्थ प्रबंधन किया जा सकता है इस पर चर्चा की गई।

कार्यशाला का दूसरा दिन मथुरा में हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में हुआ जिसकी भारत के पहले और एकमात्र हाथी अस्पताल के दौरे के साथ शुरुवात हुई। वैज्ञानिक और मानवीय हाथी प्रबंधन तकनीक जैसे पॉजिटिव कंडीशनिंग, टारगेट ट्रेनिंग, पैरों की देखभाल आदि की सहायता से हाथी प्रबंधन, कार्यशाला के कुछ प्रमुख पहलू रहे।

कार्यशाला दो और बैचों में आयोजित की जाएगी, जो 7-8 मार्च और 11-12 मार्च को होगी।

World Wildlife Day: SOS organizes workshop on management of captive animals

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा कि, “ऐसी कार्यशालाएं कैप्टिविटी में रह रहे वन्यजीवों के प्रबंधन कौशल और तकनीकी विशेषज्ञता को बेहतर बनाने में बड़े पैमाने पर योगदान देंगी। वाइल्डलाइफ एसओएस जानवरों के मानवीय प्रबंधन के लिए मॉडल मानक हैं और हम पूरे भारत में समान सुविधाएं बनाने के लिए अपना ज्ञान-साझाकरण उपयोग करने के लिए हमेशा खुश हैं।

नेशनल चंबल सैंक्चुअरी प्रोजेक्ट के उप वन संरक्षक, दिवाकर श्रीवास्तव ने कहा कि, “जब कैप्टिव केयर में जंगली जानवरों के कल्याण और उचित प्रबंधन की बात आती है, तो वाइल्डलाइफ एसओएस से बेहतर सुविधाएं कहीं और नहीं है। यह केवल मानवीय प्रबंधन तकनीकों के कारण है, जो वे अपनी देखरेख में रह रहे पुनर्वासित जानवरों के कल्याण के लिए उपयोग करते हैं। ”

बैजूराज एम.वी, डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, वाइल्डलाइफ एसओएस ने कहा कि, “हम गोरखपुर चिड़ियाघर के प्रतिभागियों के साथ अपने ज्ञान और विशेषज्ञता को साझा करके बेहद खुश हैं। ऐसी कार्यशालाएं अतीत में भी फायदेमंद साबित हुई हैं। “

गोरखपुर चिड़ियाघर के निदेशक डॉ. एच. राजामोहन ने कहा कि, “हम इस कार्यशाला का हिस्सा बनकर बेहद खुश हैं। कार्यशाला से प्राप्त ज्ञान न केवल हमारे जानवरों के बेहतर कल्याण में हमारी सहायता करेगा बल्कि चिड़ियाघर के पूर्ण प्रबंधन में हमारे पशु चिकित्सा अधिकारियों और चिड़ियाघर के रखवालों की भी मदद करेगा।

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