आगरा। पहला वर्ल्ड स्लॉथ बेयर डे आगरा में हुआ आयोजित; स्लॉथ भालुओं के संरक्षण को मिला दुनिया भर का समर्थन ।
स्लॉथ भालू भारत में पाई जाने वाली अनोखी भालुओं की प्रजाति में से एक है। यह सबसे कम रिसर्च की गई भालू प्रजाति है और इसे आई.यू.सी.एन रेड लिस्ट में ‘वल्नरेबल’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
25 से अधिक वर्षों से स्लॉथ भालुओं के संरक्षण, बचाव और पुनर्वास कर रही संस्था वाइल्डलाइफ एसओएस इंडिया ने आई.यू.सी.एन के सहयोग से इस अनूठी प्रजाति के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए 12 अक्टूबर को “वर्ल्ड स्लॉथ बेयर डे” घोषित किया है।
आई.यू.सी.एन और उत्तर प्रदेश वन विभाग के सहयोग से आगरा के मैरियट होटल में वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस द्वारा पहली बार 12 अक्टूबर के दिन वर्ल्ड स्लॉथ बेयर डे समारोह आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन उत्तर प्रदेश वन विभाग की प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं हेड ऑफ़ फारेस्ट फ़ोर्स ममता संजीव दुबे, आई.एफ.एस के साथ केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, भारत सरकार के सदस्य सचिव – डॉ संजय कुमार शुक्ला, आईएफएस एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया।
पी.सी.सी.एफ (एच.ओ.एफ.एफ) उत्तर प्रदेश, सदस्य सचिव केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, मुख्य वन संरक्षक – श्री एन.के.जानू, आई.एफ.एस और सी.एफ – श्री राकेश चंद्र, आई.एफ.एस सहित इस कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप-प्रज्वलन समारोह के साथ पहली बार वर्ल्ड स्लॉथ बेयर डे समारोह का शुभारंभ किया गया।
आई.यू.सी.एन स्लॉथ बियर एक्सपर्ट टीम के सह-अध्यक्ष निशीथ धारिया और टॉम शार्प ने भी इस अवसर के लिए अपने भाषण की वीडियो रिकॉर्डिंग भेजी।
वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के सीईओ और सह-संस्थापक – कार्तिक सत्यनारायण और सह-संस्थापक एवं सचिव- गीता शेषमणि ने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार को धन्यवाद दिया एवं उत्तर प्रदेश वन विभाग और आई.यू.सी.एन के प्रति आभार व्यक्त किया, ताकि भारत में भालुओं के संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सके।
विभिन्न संस्थानों के उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस द्वारा इस अनूठी पहल की सराहना की।
ममता संजीव दुबे, आई.एफ.एस, (पी.सी.सी.एफ एवं एच.ओ.एफ.एफ) ने स्लॉथ भालुओं की रक्षा के महत्व और वर्ल्ड स्लॉथ बेयर डे समारोह के महत्व के बारे में एवं 1999 से उत्तर प्रदेश वन विभाग और वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के बीच सफल और लंबी सहभागिता के बारे में बात की।
केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के सदस्य सचिव, डॉ संजय कुमार शुक्ला ने सी.जेड.ए की ओर से वर्ल्ड स्लॉथ बेयर डे के लिए समर्थन पत्र प्रस्तुत किया और भारत और दुनिया भर के प्रत्येक चिड़ियाघर से भारत में पाई जाने वाली इस भालू की प्रजाति के संरक्षण के लिए इस दिन को मनाने का आग्रह किया।
समारोह का समापन वर्ल्ड स्लॉथ बेयर डे पर एक फिल्म की स्क्रीनिंग के साथ हुआ जिसमें इस दुर्लभ प्रजाति को समर्पित एक दिन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला जा सके।
आई.यू.सी.एन – स्लॉथ बेयर एक्सपर्ट टीम के सह-अध्यक्ष- निशीथ धारीया और थॉमस शार्प ने भी इस महत्वपूर्ण पहल के बारे में बताया।
एलन नाइट, इंटरनेशनल एनिमल रेस्क्यू, यू.के के सी.ई.ओ, जो की वाइल्डलाइफ एसओएस की एक सहयोगी संस्था है, ने भारत में स्लॉथ भालुओं के पुनर्वास और संरक्षण के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस और इंटरनेशनल एनिमल रेस्क्यू द्वारा किए गए दशकों के काम पर प्रकाश डाला।
1999 में उत्तर प्रदेश वन विभाग के सहयोग से वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस द्वारा स्थापित भालू संरक्षण केंद्र दुनिया का सबसे बड़ा स्लॉथ भालुओं का रेस्क्यू और पुनर्वास सेंटर है।
केंद्र में वर्तमान में बड़े-बड़े बाड़ों में सौ से अधिक बचाए गए स्लॉथ भालू हैं जहां उन्हें आजीवन चिकित्सा उपचार और देखभाल प्राप्त हो रही है। ये भालू जंगल में वापस रिलीज़ करने के लिए अनुपयुक्त हैं, क्योंकि डांसिंग बेयर के रूप में बिताए गए अतीत के दौरान उनपर हुई क्रूरता ने उन्हें मानसिक आघात और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के साथ जीने पर मजबूर कर दिया था।
उत्तर प्रदेश वन विभाग की हेड ऑफ़ फारेस्ट फोर्से और प्रधान मुख्य वन संरक्षक, ममता संजीव दुबे ने कहा, “जब लोगों ने शुरू में ‘डांसिंग’ भालू प्रथा के खिलाफ आवाज उठानी शुरू की तो सुविधाओं और आपूर्ति की कमी के कारण वह पूरा ना सका जिसके बाद वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के सहयोग से यह कार्य पूरा हुआ।
आगरा में उनकी पहली स्लॉथ बेयर रेस्क्यू फैसिलिटी की स्थापना सभी के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आई। हमें एक ऐसी संस्था मिली जो समस्या को देख सके और उसका समाधान कर सके। वर्ल्ड स्लॉथ बेयर डे होने से लोगों को विशेष प्रजातियों से परिचित होने और उनकी जरूरतों को समझने का मौका मिलेगा। ”
डॉ संजय कुमार शुक्ला, सदस्य सचिव, केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, भारत सरकार, ने कहा, “मैं कार्तिक सत्यनारायण और गीता शेषमणि को इस तरह के अवसर और अद्भुत पहल के लिए बधाई देना चाहता हूं। वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस जैसी संस्था के समर्थन से हमें मनुष्यों और भालुओं के संघर्ष के प्रभाव को कम करने के लिए स्लॉथ भालू के बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।
श्री एन. के. जानू, आई.एफ.एस, मुख्य वन संरक्षक, उत्तर प्रदेश वन विभाग, ने कहा, “वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के बिना डांसिंग बेयर प्रथा की समस्या को ख़तम कर पाना बहुत ही मुश्किल था। आज हम वर्ल्ड स्लॉथ बेयर डे मना रहे हैं। सकारात्मक ऊर्जा पैदा करने और संरक्षण में सफलता की कहानियों को उजागर करने के लिए ऐसे दिन आवश्यक हैं।
उत्तर प्रदेश में स्लॉथ भालू, घड़ियाल और गंगा नदी की डॉल्फ़िन जैसी ऐसी कई सफलता की कहानियां हैं। हमें खुशी है कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक (एच.ओ.एफ.एफ) उत्तर प्रदेश वन विभाग – ममता संजीव दुबे आई.एफ.एस वर्ल्ड स्लॉथ बेयर डे के उद्घाटन समारोह में शामिल हुई और हम सभी को प्रेरित किया।
वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस के सी.ई.ओ और सह-संस्थापक, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “यह भारत में स्लॉथ भालुओं के संरक्षण के लिए एक बहुत बड़ी एवं अनूठी पहल है। अब से 12 अक्टूबर पूरी दुनिया में स्लॉथ भालुओं की रक्षा और संरक्षण में मदद करने के लिए हमेशा एक अनुस्मारक होगा।”
वाइल्डलाइफ एस.ओ.एस की सचिव और सह-संस्थापक गीता शेषमणि ने कहा, “दुनिया भर के लोगों द्वारा ग्लोबल स्लॉथ बेयर डे को दिखाए गए समर्थन से हम अभिभूत हैं। यह वन्यजीव संरक्षण में एक नए युग की शुरुआत है जहां अक्सर नज़रंदाज़ की गई इस प्रजाति को वह संरक्षण प्राप्त होगा, जिसकी वह हकदार है।”