विश्व मलेरिया दिवस हर साल 25 अप्रैल को मनाया जाता है। दुनियाभर में इस घातक बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने और इसे रोकने के मकसद से इसकी शुरुआत हुई थी। हर साल मलेरिया दिवस (World Malaria Day) की कोई न कोई थीम (World Malaria Day Theme) होती है। इस साल 2022 में मलेरिया दिवस की थीम ‘हारनेस इनोवेशन टू रिड्यूस द मलेरिया डिजीज बर्डन एंड सेव लाइव्स’ (‘Harness Innovations to Reduce the Malaria Disease Burden and Save Lives)’ है। यानी ‘मलेरिया के बर्डन को कम करने और जीवन बचाने के लिए इनोवेशन का इस्तेमाल।
मलेरिया कैसे होता है
जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. ए के अग्रवाल ने बताया कि मलेरिया प्लाज्मोडियम परजीवी के कारण होता है। ये परजीवी मादा एनाफिलीज मच्छरों के जरिए मनुष्यों तक पहुंचता है। जब परवीजी से संक्रमित एनोफिलीज मच्छर किसी इंसान को काटता है तो परजीवी खून में सीधे प्रवेश कर जाता है और मलेरिया की बीमारी हो जाती है। पांच प्रकार के प्लाज्मोडियम ही मनुष्यों में मलेरिया का कारण बनते हैं। फाल्सीपेरम, विवैक्स, ओवल, मलेरिएई और नॉलेसी।
विश्व मलेरिया दिवस का इतिहास
सीएमएस डॉ. ए के अग्रवाल ने बताया कि विश्व मलेरिया दिवस पहली बार इसे अफ्रीका मलेरिया दिवस के रूप में मनाया गया था। वैसे तो इसे अफ्रीकी सरकार 2001 से मना रही थी, लेकिन पहली बार 2008 में चिह्नित किया गया। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के प्रायोजित वर्ल्ड हेल्थ असेंबली की 60वें सेशन में इसे अफ्रीका मलेरिया दिवस से विश्व मलेरिया दिवस में बदल दिया गया। इस पहल ने वर्ल्ड लेवल पर इस बीमारी से लड़ने में मदद की।
जिला अस्पताल में व्यवस्थाएं दुरुस्त
सीएमएस ने बताया कि जिला अस्पताल में भी मलेरिया को लेकर व्यवस्थाएं दुरुस्त की गई हैं। जब व्यक्ति को बार बार बुखार आता है और उसे दवाइयों से असर नहीं पड़ता तो जिला अस्पताल के चिकित्सकों की मलेरिया की जांच कराते हैं। यह जांच भी जिला अस्पताल में ही कराई जाती है। उसे मलेरिया निकलता है तो उसे भर्ती कराकर उसे पूरा ट्रीटमेंट दिया जाता है।
आसपास न होने दें जलभराव
सीएमएस ए के अग्रवाल ने बताया कि मलेरिया का मच्छर जलभराव जैसी गंदगी में पनपता है। अगर आपके आसपास जलभराव हो रखा है और कूलर में काफी समय से पानी भरा हुआ है तो उसे तुरंत बदल दें नहीं तो वहां मलेरिया के मच्छर पनपेगे और आप मलेरिया का शिकार बन जाएंगे।