आगरा जनपद के बाह तहसील क्षेत्र से सटी चंबल नदी सेंचुरी में लगातार हर वर्ष विश्व विलुप्त प्राय मगरमच्छों का कुनबा बढ़ता चला जा रहा है। चंबल के पानी में मगरमच्छ प्रजाति बढ़ने से वन विभाग उत्साहित हैं। मगरमच्छ एवं घड़ियालों का संरक्षण वन विभाग द्वारा किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार हर साल मगरमच्छों के संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं। चंबल नदी में लुप्तप्राय स्थिति में पहुंचे मगरमच्छ बढ रहे हैं। कई वर्षों से चंबल नदी में लगातार कुनबा बढ़ने से वन विभाग उत्साहित है। 1979 में एमपी, यूपी, राजस्थान में होकर बहने वाली चंबल नदी को घडियाल और मगरमच्छ के संरक्षण के लिए चुना गया था। नदी की बालू पर प्राकृतिक प्रजनन के जरिये इनके कुनबे में गुणात्मक वृद्धि हुई है। वार्षिक गणना रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में 454, 2017 में 562, 2018 में 613, 2019 में 706, 2020 में 710, 2021 में 882 मगरमच्छ चंबल नदी में हो गये है। आंकडों से साफ है कि 6 साल में इनका कुनबा (454 से 882) करीब दो गुना हो गया है।
बाह के रेंजर आरके सिंह राठौड ने बताया कि चंबल नदी में मगरमच्छ बढने के साथ ही मानव मगरमच्छ संघर्ष की घटनायें बढने का खतरा रहता है। बाह रेंज में नदी किनारे के ग्रामीणों को मगरमच्छ के व्यवहार के प्रति जागरूक कर संरक्षण को प्रेरित करने के लिए वन विभाग समयबद्ध अभियान चलाता है। यही वजह है कि बाह रेंज में हमले कम हो रहे है।
हैचिंग पीरियड में मगरमच्छ हमलावर हो जाते है। अप्रैल में मगरमच्छ चंबल किनारे बालू में अण्डे देते है। वन विभाग नेस्टों को सहेजता है। जून में हैचिंग पीरियड में नदी किनारे जाने वाले लोगों से अपने अण्डों को नुकसान पहुंचाने के अंदेशे में मगरमच्छ हमलावर हो जाते है। रेंजर ने बताया कि हैचिंग पीरियड में ग्रामीणों को नदी किनारे न जाने के लिए अलर्ट किया जाता है। ताकि जान जोखिम का खतरा न रहे।
बाह रेंज में बालू के अवैध खनन पर रोक से मगरमच्छ के साथ ही घडियाल की आबादी बढ रही है। बालू के अवैध खनन से अण्डे नष्ट हो जाते थे। जिससे वंश वृद्धि प्रभावित हो रही थी। रेंजर ने बताया कि अवैध खनन पर रोक से नेस्ट और प्रजनन दर बढी है।