आगरा। हर साल 5 जून को पर्यावरण के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। प्रकृति हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा है। इसकी हिफाजत के लिए हर किसी को आगे आकर इसके लिए काम करना होगा। क्योंकि हरा-भरा एनवायरनमेंट ही हमारी ज़िंदगी और सेहत पर असर डालता है। इस दिन कई कार्यक्रम का आयोजन कर लोगों को पर्यावरण और प्रदूषण से हो रहे नुकसान के प्रति जागरुक किया जाता है। प्रदूषण का बढ़ता स्तर पर्यावरण के साथ ही इंसानों के लिए खतरा बनता जा रहा है। इसके कारण कई जीव-जन्तू विलुप्त हो रहे हैं। वहीं इंसान कई प्रकार की गंभीर बिमारियों का शिकार भी हो रहे हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में वार्ड 39 नामनेर में क्षेत्रीय पार्षद पति रघु पंडित और आरएसएस कार्यकर्ताओं द्वारा वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। नामनेर स्थित दुर्गा मंदिर में सभी ने मिलकर पौधारोपण किया और पर्यावरण को संरक्षित रखने का संकल्प भी लिया। पौधारोपण कर कि सभी लोग काफी उत्साहित नजर आए।
पार्षद पति रघु पंडित ने बताया कि इस बार विश्व पर्यावरण दिवस 2022 की थीम “केवल एक पृथ्वी” है पर मनाया जा रहा है। इस मुहिम का नारा है प्रकृति के साथ सद्भावना में रहना। इससे लोग प्रकृति की मुश्किलों को समझें और यह जाने की प्रकृति और मानवता एक हैं और इन दोनों का संतुलन बिगड़ा तो दोनों का ही विनाश है।
अपने पूर्वजों के नाम पर लगाएं पौधा
आर एस एस के वरिष्ठ पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का कहना था कि आज पेड़ों का कटान तेज के साथ हो रहा है। जरूरत है अधिक से अधिक पौधारोपण करने की। इसीलिए आम जनमानस को पौधारोपण के प्रति आगे आना होगा। अपने पूर्वजों के नाम पर भी अगर वह पौधा लगाकर उसका ख्याल रखेंगे तो पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सकता है।
50 साल बाद एक बार फिर ‘केवल पृथ्वी’ का नारा जो कि 1972 के स्टॉकहोम सम्मेलन में सबसे पहले दिया गया था। उसे आज फिर अपनाया गया है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि यह आज भी हम पर लागू होता है कि केवल पृथ्वी ही हमारा घर है और इसका कोई विकल्प हीं हैं। यह नारा पर्यावरण में वैश्विक स्तर पर परिवर्तनकारी नतीजों की पैरवी करता है।
विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास
‘विश्व पर्यावरण दिवस’ की स्थापना 1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा ह्यूमन एनवायरनमेंट पर स्टॉकहोम सम्मेलन में की गई थी, जिसमें 119 देशों में हिस्सा लिया था। सभी ने एक धरती के सिद्धांत को मान्यता देते हुए हस्ताक्षर किए। इसके बाद 5 जून को सभी देशों में ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाया जाने लगा। भारत में 19 नवंबर 1986 से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ।