आगरा। आने वाला सप्ताह बहुत विशेष है क्योंकि 11 जुलाई से गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही है एवं 11 जुलाई 2021 रविवार के दिन रवि पुष्य नक्षत्र एवं स्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। अतः 11 जुलाई का दिन विशेष महत्व लिए आ रहा है। आगे आने वाले सप्ताह में गुप्त नवरात्रि में का आध्यात्मिक लाभ कैसे उठाएं, घर-परिवार में खुशहाली लाने और आर्थिक तरक्की के लिए इन दिनों में भगवान की पूजा करने और किन नियमों का पालन करने की जरूरत है। इसके बारे में विस्तार से बता रही हैं एस्ट्रोलॉजर शिल्पा जैन।
शिल्पा जैन के मुताबिक 11 जुलाई के दिन रवि पुष्य नक्षत्र एवं स्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि पुष्य नक्षत्र नक्षत्रों का सम्राट माना गया है। अगर यह नक्षत्र गुरुवार या रविवार को आ जाए तो वह विशेष महत्व रखता है । 11 जुलाई को रविवार के दिन रवि पुष्य नक्षत्र प्रातः से ही शुरू हो जाएगा एवं पूरे दिन रवि पुष्य नक्षत्र रहेगा। पुष्य नक्षत्र बहुत ही दुर्लभ नक्षत्र माना गया है। प्रभु श्री राम जी का जन्म भी पुष्य नक्षत्र के दिन हुआ था। रविवार के दिन सुबह से शाम तक तिथि रहेगी, अतः पूरे दिन का लाभ हम उठा सकते हैं और कोई भी शुभ काम कर सकते हैं।

ग्रहों के राजा सूर्य को माना गया है। आज के दिन सूर्य को मजबूत करने का श्रेष्ठ दिन माना गया है। जिन जातकों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है तो बाकी ग्रह भी अनुकूल प्रभाव नहीं दे पाते हैं। सूर्य ग्रह को अनुकूल करने हेतु 11 तारीख के दिन सुबह 7:13 से 7:00 बज के 45 मिनट के अंतराल में स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ कपड़े धारण करें एवं तांबे के लोटे में शमि का पत्ता, कनेर का फूल, शहद, गुलाब जल, अक्षत, दूध मिश्री, गाय का घी कुछ मात्रा में डालकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें। अर्घ्य देने की प्रक्रिया जानना बहुत ही आवश्यक है। अर्घ देने के वक्त तांबे का लोटा कंधे से ऊपर होना चाहिए एवं अपने सिर से ऊपर जल की धारा डालनी चाहिए एवं बहुत जल जमीन पर न गिरे एवं पैरों पर ना लगे इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। जब आप जल की धारा डालें तो उस धारा के अंदर से सूर्य की रोशनी को अपने शरीर के अंदर जाते हुए महसूस करें एवं सूर्य के 12 नामों का जाप करते हुए या सूर्य के मंत्र का जाप करते हुए सूर्य भगवान को अर्घ्य दें।
रात्रि के समय 7:30 से 9:00 के बीच पूजा स्थान में आसन बिछा कर बैठे एवं सर्वप्रथम गणेश जी का ध्यान करें उसके उपरांत विष्णु जी का ध्यान एवं मंत्र का जाप करें। अंत में महालक्ष्मी का जाप करें। हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि भगवान विष्णु का जाप और पूजा मां लक्ष्मी से पहले की जानी चाहिए इससे मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती है। आज के दिन सिर्फ प्रभु के सामने अपनी इच्छा ही व्यक्त करें। किसी भी प्रकार का दुख या वेदना उनके सामने व्यक्त ना करें। किसी भी नकारात्मक शब्द का प्रयोग ना करें। एक केले का भोग लगाएं एवं दूसरे दिन उसके लिए को परिवार के लोग सेवन करें। रवि पुष्य नक्षत्र के दिन सूर्य के 12 नाम की आराधना एवं आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है। रवि पुष्य नक्षत्र के दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार खरीदारी करें। वाहन खरीदना, गहने खरीदना, इलेक्ट्रॉनिक आइटम लेना बहुत ही लाभप्रद होता है एवं आज के दिन यज्ञ, अनुष्ठान और पुस्तकों का दान अवश्य करना चाहिए। किसी भी जातक को अगर शिक्षा की शुरुआत करनी है तो आज का दिन अति उत्तम है।
11 जुलाई रविवार के दिन से ही गुप्त नवरात्रि भी आरंभ हो रहे हैं। वैसे तो साल में चार नवरात्रि आते हैं जिसमें दो गुप्त नवरात्रि होती हैं। ऐसा माना गया है की गुप्त नवरात्रि तांत्रिक साधना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। किंतु गुप्त नवरात्रि में अगर कोई भी जातक नियमित रूप से मां दुर्गा के 10 विद्याओं का अध्ययन करता है एवं उनकी पूजा करता है तो उसकी सभी कामना सिद्ध होती है। गुप्त नवरात्रि में की गई साधना को गोपनीय रखना आवश्यक है। दुर्गा सप्तशती के पाठ से विशेष लाभ प्राप्त होता है। मां का प्रातः एवं साय काल आरती करें एवं भोग में लॉन्ग और बताशा चढ़ाएं। गुप्त नवरात्रि के दौरान काले और नीले वस्त्र धारण ना करें। आहार सात्विक रखें एवं लाल पुष्प मां को अर्पित करें। बगलामुखी की साधना के लिए यह उत्तम समय है। जो लोग राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े हुए हैं उन्हें बगलामुखी की साधना अवश्य करनी चाहिए। गुप्त नवरात्रि के दौरान घर में कलेश ना करें। घर में शांति का माहौल बनाकर रखें। बाल, दाढ़ी, नाखून ना काटे। मेहमान और भिखारी का अपमान न करें, यथा संभव दान करें। नवरात्रि के दौरान शक्ति की पूजा की जाती है ।शक्ति की पूजा करने से शिव स्वतः प्राप्त हो जाते हैं। अतः शक्ति की पूजा करने का बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर है यह गुप्त नवरात्रि। कुंजिका स्त्रोत का पाठ करें एवं नारी का अपमान ना करें।
गुप्त नवरात्रि के दौरान की गई साधना अत्यंत ही लाभप्रद होती है। 10 विद्या माँ काली, मां तारा, त्रिपुर सुंदरी, बगलामुखी, कालरात्रि, मातंगी, कमला देवी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, धूम रावती की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। मां काली की पूजा करने का भी या सर्वोत्तम दिन माना गया है।