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एसी कमरे में भी जरूरी है खिड़की, 20 प्रतिशत शुद्ध हवा नहीं होने देगी बीमार

by pawan sharma
  • इशरे संस्था की आगरा शाखा ने आयोजित की एयर कंडीशनर एंड वेंटिलेशन पर कार्यशाला
  • पर्यावरण इंजीनियर दिनकर सक्सेना और कुलदीप सिंह ने बताए एसी ब्लास्ट से बचाने के उपाय
  • घर को सदैव रखें हवादार, एसी कमरे में भी हो शुद्ध हवा आने का इंतजाम

आगरा। जितना अधिक हम आधुनिक हो रहे हैं उतना ही शुद्ध हवा से दूर होते जा रहे हैं। शीश महल की तरह घर बन रहे हैं, जिसके कारण बीमारियां घेर रही हैं। घर बनाएं तो खिड़कियों की अनदेखी न करें। ये महत्वपूर्ण जानकारियां दीं पर्यावरण इंजीनियर दिनकर सक्सेना ने। रविवार को वाटर वक्र्स स्थित अतिथिवन में इंडियन सोसाइटी फॉर हीटिंग रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर इंजीनियर (इशरे) द्वारा सेफ्टी इन एयरकंडिशनिंग एंड वेंटिलेशन विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई।

कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि इशरे के रीजनल डायरेक्टर नॉर्थ अशीष गुप्ता, मुख्य वक्ता कुलदीप सिंह और दिनकर सक्सेना, आगरा शाखा अध्यक्ष निवेदिता दिनकर, अध्यक्ष इलेक्ट राजकिशोर गुप्ता ने पौधों में पानी डालकर किया।

अध्यक्ष निवेदिता दिनकर ने स्वागत भाषण में कहा कि संस्था का उद्देश्य समाज को तकनीकी राह दिखाने के साथ पर्यावरण से जोड़ना भी है। उन्होंने कहा सुविधा के साथ सुरक्षा जरूरी है। इसलिए आधुनिक उपकरणो का प्रयोग करते समय सावधानी भी बरतें।

पर्यावरण इंजीनियर दिनकर सक्सेना ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि एसी जब रिपेयरिंग मांगने लगे तो समय रहते उसे बदलना बेहतर है। कभी भी एयर टाइट कमरे में न रहें। एसी लगे कमरे में 20 प्रतिशत शुद्ध हवा आनी अति आवश्यक है। यदि किसी घर या कमरे में प्रवेश करते ही छींक आने लगे या बुखार सा लगे तो इसका अर्थ है कि वहां का वेंटिलेशन सही नहीं है। उस स्थान पर खिड़कियां की कमी है।

एसी के रखरखाव के बारे में विशेषज्ञ कुलदीप सिंह ने कहा कि गर्मियों में एसी या उसके कम्प्रेशर में ब्लास्ट या आग की समस्या बहुत होती है। इससे बचाव के लिए आवश्यक है कि एसी का आउटर हवादार स्थान पर हो। एसी में यदि गैर भरवा रहे हैं तो उसकी गुणवत्ता से समझौता न करें। एसी सदैव 24 डिग्री पर ही चलाएं, इससे बिजली खपत कम होगी, सेहत सही रहेगी और एसी में परेशानी भी नहीं होगी।

राष्ट्रहित में बिजली खपत कम करने की बात पर अध्यक्ष इलेक्ट राजकिशोर गुप्ता ने कहा कि इनवर्टर एसी बिजली खपत कम करने का सबसे अच्छा साधन हैं।

कार्यशाला में आगरा सहित दिल्ली, हाथरस आदि शहरों के सदस्यों ने भी सहभागिता की। आलिंद माथुर, शैलेंद्र माथुर, कुंवर मौसम, बीडी रिषी, संभव जैन, अरविंद, नकुल, दिलीप गुप्ता, साहब सिंह चैहान, सतीश यादव, विजय सिंह, रमाकांत शर्मा, महेंद्र गुप्ता, सौरभ शर्मा, सूरजभान शर्मा, रमेश, दयाशंकर आदि उपस्थित रहे।

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