आगरा। रोडवेज विभाग के निजीकरण के विरोध में एक बार फिर यूपी रोडवेज इंप्लाइज यूनियन ने प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। रोडवेज विभाग का निजीकरण किसी भी तरह से रोडवेज कर्मचारी के हित में नहीं है। इसके प्रति कर्मचारियों को जागरूक करने के लिए यूपी रोडवेज इंप्लाइज यूनियन ने जन जागरण अभियान शुरू किया है जिसका शुभारंभ शुक्रवार को ईदगाह बस डिपो से किया गया।
रोडवेज विभाग के निजीकरण के विरोध में यूपी रोडवेज इंप्लाइज यूनियन की ओर से ईदगाह बस स्टैंड पर एक आवश्यक बैठक आहूत की गई। इस बैठक के दौरान यूनियन के पदाधिकारियों और उनके सदस्यों के साथ-साथ रोडवेज कर्मचारियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। बैठक के दौरान जहां रोडवेज विभाग के निजीकरण किए जाने की चल रही प्रक्रिया को लेकर कर्मचारियों में आक्रोश दिखाई दिया तो सभी एक स्वर में इसके विरोध में लामबंद खड़े हुए नजर आए। यूपी रोडवेज इंप्लाइज यूनियन इस अभियान के माध्यम से रोडवेज के हर कर्मचारियों को रोडवेज निजीकरण के विरोध में खड़ा करने का प्रयास कर रही है। जन जागरण अभियान की शुरुआत की गई जिससे हर रोडवेज कर्मचारी को निजीकरण से होने वाली समस्याओं को जानकारी दी जाएगी।
बैठक के दौरान रोडवेज इंप्लाइज यूनियन नेता मोहमद अली दुलारे ने साफ कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार कुछ लोगों की निशानदेही पर रोडवेज विभाग निजी हाथों में सौंपना चाहती है। इससे रोडवेज कर्मचारी का शोषण होगा और उनकी लंबित पड़ी हुई मांगो का कभी भी समाधान नहीं हो पाएगा।
इंप्लाइज यूनियन के सत्यनारायण शर्मा ने साफ कहा कि देशभर में 8 राष्ट्रीय कृत मार्ग है जिन पर रोडवेज की गाड़ियां चलती हैं और करीब 92 ऐसे मार्ग हैं जो राष्ट्रीयकृत नही है और उन पर प्राइवेट वाहन चलते हैं लेकिन इसके बावजूद भी सभी लोगों की निगाहें सिर्फ 8 राष्ट्रीय मार्ग पर लगी हुई है जिसे बर्दाश्त नही किया जाएगा।
यूनियन के पदाधिकारियों ने सरकार की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान खड़े किए। उनका कहना था कि संविदा चालक परिचालक श्रम विभाग के कानून के अनुसार कबके 180 दिनों की प्रक्रिया को पूरा कर चुके हैं लेकिन आज तक उन्हें सरकारी दर्जा देने की कवायद शुरू नहीं हुई है जिससे साफ है कि सरकार रोडवेज कर्मचारी हित में बिल्कुल नहीं है।
रोडवेज कर्मचारियों ने साफ कर दिया है कि अगर सरकार ने विभाग के निजीकरण के लिए कोई भी कदम उठाया तो कर्मचारी चक्का जाम करने को मजबूर होंगे।