Home » इस बार स्ट्राबेरी फ्लेवर में खिलाई जा रही पेट में कीड़े मारने की दवा

इस बार स्ट्राबेरी फ्लेवर में खिलाई जा रही पेट में कीड़े मारने की दवा

by admin
This time the medicine to kill worms in the stomach being fed in strawberry flavor

आगरा। वनीला और मैंगो फ्लेवर के बाद स्ट्राबेरी फ्लेवर में भी आई पेट में कीड़े मारने की दवा। डॉक्टर बोले, एक गोली खाने से पेट से बाहर आएंगे कीड़े।

जिले में बुधवार को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) पर न्यू आगरा स्थित संयुक्त विद्यालय में मुख्य विकास अधिकारी ए मणिकंडन ने कृमि मुक्ति की दवा खिलाकर अभियान का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अरुण श्रीवास्तव व जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ संजीव वर्मन मौजूद रहे। यह दवा एक वर्ष से 19 वर्ष उम्र तक के सभी लोगों को खानी है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जिले में 20.97 लाख बच्चों और किशोरों को कृमि मुक्ति की दवा यानि पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाने के उद्देश्य से यह अभियान शुरू हुआ है। इस अभियान के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्वास्थ्य केन्द्रों और पंजीकृत स्कूलों, ईंट भट्ठों पर कार्य करने वाले श्रमिकों और घुमन्तू लोगों को दवा खिलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि किसी कारण आज जो बच्चे दवा नहीं खा पाए हैं उनको मॉपअप राउंड में खिलाई जाएगी। जनपद में मॉपअप राउंड 25 जुलाई से 27 जुलाई तक चलेगा। शिक्षक, आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को यह दवा अपने सामने ही खिलाने के निर्देश हैं।

21 lakh children and adolescents up to 19 years will be fed medicine to remove stomach worms

डॉ संजीव वर्मन ने बताया कि कुछ खाकर ही यह दवा खानी है। 3 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यह दवा पीसकर पिलानी है जबकि 3 वर्ष से ऊपर के बच्चों को यह दवा चबाकर खानी है। उन्होंने बताया कि पेट से कीड़े निकलने की दवा एल्बेन्डाजॉल बहुत ही स्वादिष्ट बनाने की कोशिश की जाती है। इससे बच्चे आसानी से खा लेते हैं। पहले यह दवा वनीला और मैंगो फ्लेवर में उपलब्ध थी जबकि इस बार यह स्ट्राबेरी फ्लेवर में मिल रही है।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सरिता ने बताया कि हम लोगों को दवा खिलाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। हम सब कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दवा खिला रहे हैं। जो लोग दवा नहीं खा सके हैं, उनको मॉपअप राउंड में दवा खिलाने का प्रयास करेंगे।
लाभार्थी राहुल ने बताया कि मेरे बच्चे को आज उसके स्कूल में कृमि मुक्ति की दवा खिलाई गई है। दवा सेवन के दौरान और उसके बाद भी कोई दिक्कत नहीं हुई है।

क्यों खाएं दवा
डीसीपीएम डॉ विजय सिंह ने बताया कि बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। इसलिए एल्बेन्डाजॉल खाने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण कृमि हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी (एनीमिया) समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कृमि से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए यह दवा एक बेहतर उपाय है। जिन बच्चों के पेट में पहले से कृमि होते हैं उन्हें कई बार कुछ हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। जैसे हल्का चक्कर, थोड़ी घबराहट, सिर दर्द, दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, मितली, उल्टी या भूख लगना। इससे घबराना नहीं है। दो से चार घंटे में स्वतः ही समाप्त हो जाती है।

आवश्यकता पड़ने पर आशा या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से चिकित्सक से संपर्क करें। उन्होंने बताया कि कृमि मुक्ति दवा बच्चे को कुपोषण, खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है। कार्यक्रम में वर्ल्ड विजन संस्था के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

Related Articles

Leave a Comment