पुलिस के सिपाही की तरह काम में लगे लेकिन वेतन के मामले में हमेशा पीछे रहने वाले उत्तर प्रदेश के करीब 87000 होमगार्ड के लिए सुप्रीम कोर्ट से बड़ी खुशखबरी आयी है। उत्तर प्रदेश के होमगार्ड को पुलिस के सिपाही के न्यूनतम वेतन के बराबर रोजाना भत्ता मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। इस फैसले पर मुहर लगने के बाद आगरा शहर के होमगार्डों के खुशी की लहर दौड़ गई। अपनी इस खुशी को जताने के लिए भारी संख्या में होमगार्ड जिला मुख्यालय पहुँचे जहाँ पर सभी ने इस जीत की खुशी का जश्न मनाया और एक दूसरे को मिठाई खिलाई।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उत्तर प्रदेश के करीब 87000 ऑन ड्यूटी होमगार्डों को फायदा मिलेगा। नियम के मुताबिक होमगार्ड को अभी रोजाना काम के हिसाब से रोजाना भत्ते के रूप में 500 रुपये मिलते हैं लेकिन इस फैसले के बाद उन्हें करीब 800 रुपये भत्ता मिलेगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में चार साल पहले होमगार्डों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुये हाईकोर्ट ने 6 दिसंबर 2016 को होमगार्डों के हित में फैसला सुनाया और कहा था कि होमगार्ड पुलिस कांस्टेबल के बराबर ही ड्यूटी करते हैं, ऐसे में वेतन न सही उन्हें कांस्टेबल के बराबर भत्ता दिया जाना चाहिये। हालांकि राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच में अपील की थी। लेकिन सरकार को डबल बेंच से भी कोई राहत नहीं मिली और भत्ता बढ़ाने के आदेश को कायम रखा गया था। इसके बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची, लेकिन वहां से भी उसे झटका ही मिला है और कांस्टेबल के वेतन के बाराबर भत्ता दिये जाने का आदेश दिया गया है।
याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि होमगार्ड की भर्ती, ट्रेनिंग और शैक्षणिक योग्यता पुलिस कांस्टेबल के मानक पर नहीं होती। ऐसे में इनका भत्ता कांस्टेबल के समान नहीं किया जा सकता और अगर ऐसा फैसला हुआ तो राज्य सरकार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा। हालांकि सरकार की दलीलों को सुप्रीम कोर्ट ने मानने से इन्कार कर दिया और कहा कि कानून के मुताबिक होमगार्ड की भर्ती आपात समय के दौरान काम करने के लिये हुई थी, लेकिन उनसे तो लगातार एक कांस्टेबल की तरह काम लिया जा रहा है। ऐसे में उन्हें नियमित नहीं किया जा सकता, लेकिन कांस्टेबल के बराबर भत्ता दिया जाना चाहिये। याचिका पर सुनवाई न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने की।
इस दौरान होमगार्डों का कहना था कि अभी तक जो भत्ता मिलता था उससे घर चलाना और बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने में दिक्कत होती थी लेकिन इस फैसले से उनका आर्थिक जीवन मे सुधार आएगा और वो भी बेहतर जिंदगी और बच्चों को शिक्षित कर सकेंगे।