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‘राम बाबू परांठे वाले’ के परिवार की एक हकीकत ये भी, जान कर रह जाएंगे आश्चर्यचकित, पढ़िए जरूर

by admin
This is also a reality of the family of 'Ram Babu Paranthe Wale', you will be surprised to know, definitely read

Agra. ‘राम बाबू पराठे वाले’ यह नाम आगरा शहर में किसी के लिए अनसुना नहीं है। दूर दराज से लोग रामबाबू के पराठे खाने के लिए इनके होटल और रेस्टोरेंट पर आते हैं लेकिन किस्मत का खेल देखिए, जिनके नाम से फर्म चल रही है उनकी पत्नी और बेटे आज भी दर-दर की ठोकरें खा रहे है। राम बाबू पराठे वाले की पत्नी सावित्री देवी जीवन यापन हेतु लोगों के घरो में काम करती है। आलम यह है कि आज वो बेटे का पैर टूट जाने के कारण एसएन में इलाज तो करा रही है लेकिन सरकारी ख़र्च पर बेटे का ऑपरेशन हो जाये इतने पैसे भी नहीं है।

कहते है कि ज्यादा पैसा भी परिवार में रार पैदा कर देता है। कुछ ऐसा ही राम बाबू पराठे वाले के परिवार में देखने को मिला है। कभी साज सजके व ठाठ से रहने वाली सावित्री देवी के जीवन में सभी रंग थे लेकिन पति की मौत के बाद जीवन बेरंग हो गया। सीधी साधी सावित्री कभी समझ नहीं पाई कि भविष्य में उसे इससे ज्यादा कीमत चुकानी होगी और वो भी अपनों की नीयत खराब होने पर। पीड़ित सावित्री कहती है कि पति की मौत हुई तो बेटा तीन साल का और बेटी 7 महीने की थी। उसके बाद देवर की नीयत खराब हुई और उसने धीरे धीरे सब हड़प लिया। एक दिन घर से निकाल दिया। देवर द्वारा धमकी देने और फिर किसी का साथ न मिलने के कारण वो अपने बच्चों के साथ जैसे तैसे पालन पोषण करने लगी।

घरों में किया काम, मांगी भीख

स्व. रामबाबू की पत्नी सावित्री बताती है कि देवर द्वारा घर से बाहर निकालने और सब कुछ हड़प लेने के बाद जिंदगी गुजारना कठिन हो गया। शर्म के चलते रिश्तेदारों से मदद नहीं ली और जिन्हें इस घटना की जानकारी थी उन्होंने भी कोई मदद नहीं की। जीवन यापन के लिए कोई तरीका नजर नहीं आया तो लोगों के घरों में काम करने लगी। शान से व ठाठ बाट से रहने वाली सावित्री को लोगों के घरों में झाड़ू पौंछा तक करना पड़ा। स्थिति और बिगड़ी तो जीवन यापन के लिए सड़कों व गलियों में भीख मांगनी पड़ी। सावित्री के मुख से यह कहानी सुनकर बड़ा आश्चर्य चकित हुआ।

पीड़ित सावित्री बताती है कि पति ने पराठे का व्यापार शुरू किया जो चलने लगा, इसके बाद पराठा ब्रांड बना। रामबाबू पराठे वाले के नाम से ब्रांड फेमस हुआ और इसे रजिस्टर्ड भी कराया लेकिन आज इस नाम का फायदा देवर और उसका परिवार उठा रहा है। पति के नाम की रॉयल्टी तक उन्हें नहीं मिलती है। देवर से पैसे व हिस्सा मांगते है तो मारपीट करके बाहर निकाल देते हैं और सभी से कहते हैं कि उन्हें उनका हिस्सा दे दिया है।

पाई पाई के लिए हुए मोहताज़

रामबाबू की पत्नी सावित्री और बेटे की वर्तमान में जो आर्थिक स्थिति है उसका कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। आज सावित्री और उनका बेटा पाई पाई के लिए तरस रहा है। आलम यह है कि रहने को घर नहीं, खाने को खाद्य सामग्री नहीं और उसे खरीदने के लिए पैसे भी नहीं, कपड़े भी किसी के दिये हुए या फिर मांगे हुए पहन रही है।

बेटे के ऑपरेशन के लिए पैसे नहीं

पिछले दिनों बेटा अचानक से छत से गिर गया और पैर की हड्डी टूट गयी। लोगों की मदद से उसे एसएन में भर्ती कराया लेकिन इलाज के लिए पैसे नही। एसएन में सरकारी इलाज तो चल रहा है लेकिन पैर ठीक हो सके इसके लिए ऑपेरशन जरूरी है। सावित्री कहती है कि बेटे के सरकारी खर्च पर ऑपेरशन हो सके इतने भी पैसे उनके पास नहीं है।

अनजान ने दिया सहारा

राम कुशवाहा बताते है कि एक दिन सावित्री देवी भीख मांगती हुई उनकी ससुराल पहुँची तो उनकी सास ने कुछ इनकी मदद की और फिर इंसानियत के नाते उन्हें एक कमरा रहने के लिए भी दिया। बाद में उन सब को पता चला कि जो वृद्धा रह रही है वो रामबाबू पराठे वाले कि धर्मपत्नी है। उनकी यह स्थिति देख सभी हैरान थे। पिछले तीन सालों से ससुराल पक्ष लगातार उनकी मदद कर रहा है और भोजन देने के साथ आर्थिक मदद भी कर रहा है। आज उनके बेटे के पैर का ऑपरेशन है लेकिन कोई भी परिवार का व्यक्ति मदद के लिए आगे नहीं आया जबकि उनके देवर को फोन करके पूरी स्थिति से अवगत कराया लेकिन उन्होंने मदद करने से मना कर दिया।

भाई करता है राम बाबू की पूजा

राम बाबू पराठे वाले के भाई ने अपनी रेस्टोरेंट और होटल में आज भी उनकी तस्वीर लगा रखी है, उनकी तस्वीर ही पूजा करता है लेकिन उनके परिवार को ही घर से बाहर निकाल दिया है। उनका कहना है कि रामबाबू की पत्नी और उनके बेटे को उनका पूरा हिस्सा दे दिया था। एक बार नहीं कई बार दिया है और उनकी हर संभव मदद जी काफी वर्षों तक की है लेकिन अब नहीं।

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