आगरा। टीबी केवल फेंफड़ों में ही नहीं होती है, बल्कि यह शरीर के किसी भी भाग में हो सकती है। लंबे समय तक हड्डियों में दर्द हो रहा हो तो यह टीबी भी हो सकती है। इसे हड्डियों की टीबी यानि बोन टीबी कहा जाता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि यदि कोई मरीज पीठ दर्द व अन्य जोड़ों के दर्द से परेशान हैं, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। तुरंत टीबी जांच केंद्र पर जांच करवानी चाहिए। यह बोन टीबी भी हो सकती है। उन्होंने बताया टीबी दो प्रकार की होती है। एक पलमोनरी, एक्स्ट्रा पलमोनरी (ईपी) टीबी। जब टीबी फेफड़ों के अलावा शरीर के किसी अन्य अंग में होती है तो इसे ईपीटीबी कहते हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सीएल यादव ने बताया कि टीबी एक संक्रामक रोग है। यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु के कारण होता है। यह मुख्य रूप से फेफड़ों और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। शरीर के अन्य अंगों में भी टीबी हो सकता है। हड्डियों में लगातार दर्द बोन टीबी के संकेत हो सकते हैं ऐसे में तुरंत जांच करवानी चाहिए। हड्डी टीबी की विभिन्न श्रेणियां होती हैं, जैसे रीढ़ में, कूल्हे के जोड़ में, कोहनी में, घुटने के जोड़ में, टखने के जोड़ में एवं ऊपरी भाग में आदि विभिन्न प्रकार की हड्डी की टीबी के लिए अलग-अलग उपचार की विधि उपलब्ध हैं।
जिला पीपीएम समन्वयक अरविंद यादव ने बताया कि जोड़ों का दर्द, वजन कम होना, थकान, लगातार हल्का बुखार रहना टीबी के संकेत हो सकते हैं। टीबी की सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच और उपचार की जाती है। टीबी की पुष्टि होने पर रोगी को इलाज के समय तक 500 प्रति माह सरकार द्वारा रोगी के बैंक खाते में दिए जाते हैं जिससे रोगी पौष्टिक आहार लेकर शीघ्र स्वस्थ हो सके। उन्होंने कहा कि टीबी का उपचार लंबा होता है इसलिए रोगी को बीच में इसका उपचार छोड़ना नहीं चाहिए।
टीबी के लक्षण
- लगातार हल्का बुखार
- भूख ना लगना
- लगातार वजन कम होना
- लगातार खांसी रहना
- जोड़ो में दर्द रहना
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