Agra. अपने शहीद पति के सम्मान और सरकार द्वारा उनकी शहादत पर की गई घोषणाओं को पूरा कराने के लिए आज आगरा के शहीद कौशल कुमार रावत की पत्नी ममता रावत को पुलिस ने थाने में बैठा लिया। सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के आगरा आगमन पर शहीद की पत्नी ममता रावत अपने पुत्र के साथ कार्यक्रम स्थल जा रही थी। तभी पुलिस और प्रशासन को इसकी जानकारी हुई तो हड़कंप मच गया। हरकत में आई पुलिस ने शहीद कौशल रावत की पत्नी ममता रावत और उनके बेटे को थाना ताजगंज क्षेत्र के भाजपा कार्यक्रम स्थल के नजदीक ही रोक लिया। जहां से दोनों को थाने ले जाया गया लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने नही दिया।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में फरवरी 2019 में आतंकी हमला हुआ था। जिसमें आगरा के सीआरपीएफ कौशल किशोर रावत समेत प्रदेश के 12 और कुल 40 जवान शहीद हुए थे। शहीद कौशल किशोर दावत की शहादत पर प्रदेश सरकार द्वारा उनकी आर्थिक सहायता बाय स्मारक बनाए जाने की घोषणा की थी लेकिन घोषणाएं पूरी होती हुई अभी तक नजर नहीं आ रही है।
आपको बताते चलें कि पिछले दिनों जब उपमुख्यमंत्री शर्मा दो दिवसीय आगरा के दौरे पर थे, उस दौरान शहीद कौशल किशोर रावत की पत्नी ममता रावत अपने परिवार के साथ धरने पर बैठी थी। लगातार दो दिन वह धरने पर रही जबकि उपमुख्यमंत्री के आगरा में होने पर भी वह शहीद की पत्नी से मिलने नहीं पहुंचे जिसके बाद भाजपा की काफी किरकिरी हुई थी। मुख्यमंत्री ने स्थानीय प्रशासन को लताड़ भी लगाई थी जिसके बाद एडीएम सिटी शहीद की पत्नी से मिलने के लिए पहुंचे थे और शिक्षकों द्वारा जो उनकी आर्थिक मदद के लिए पैसा इकट्ठा किया गया था, वह उन्हें उपलब्ध कराया गया था लेकिन अभी भी प्रदेश सरकार द्वारा अन्य घोषणाओं को पूरा नहीं किया गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगरा आगमन की सूचना पर शहीद की पत्नी ममता रावत अपने बेटे के साथ मुख्यमंत्री से मिलने के लिए कार्यक्रम स्थल जा रही थी, तभी जिला प्रशासन व पुलिस को सूचना मिलते ही उन्हें कार्यक्रम स्थल पहुंचने से पहले ही रोक लिया गया। पुलिसकर्मियों ने उन्हें गाड़ी में बिठाया और थाने भिजवा दिया।
स्थानीय पुलिस स्थानीय प्रशासन और सरकार का शहीद की पत्नी के प्रति यह रवैया किसी को भी रास नहीं आ रहा है। लोगों का मानना है कि जब शहर पर देश की रक्षा में तैनात जवान अपने परिवार को छोड़कर देश की सेवा में जुटा रहता है तो उसी शहादत के बाद सरकार और स्थानीय प्रशासन को 20 शहीद के परिवार की पूरी मदद करनी चाहिए लेकिन यहां तो उलटी गंगा बह रही है। शहीद की पत्नी और बेटे को ही मुख्यमंत्री से मिलने की मांग पर थाने भिजवा दिया जाता है।