Agra. भारतीय जनता पार्टी ने आगरा जिले में 9 की 9 विधानसभा सीटों को जीत कर एक बार फिर इतिहास दोहरा दिया है। सबसे बड़ी बात यह है कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में कुछ सीटों पर प्रत्याशियों के बदले जाने से पार्टी के ही कार्यकर्ता काफी नाराज थे जिससे पार्टी को अंदरूनी नुकसान होने की बात कही जा रही थी लेकिन चुनाव में जो परिणाम सामने आए उसके अनुसार पार्टी कार्यकर्ताओं ने नाराज होने के बावजूद पार्टी के लिए काम किया और उन प्रत्याशियों को भी जिताया। आइए बताते हैं कि किन-किन प्रत्याशियों को लेकर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी।
एत्मादपुर विधानसभा पर
पार्टी कार्यकर्ताओं में सबसे ज्यादा नाराजगी तो एत्मादपुर विधानसभा सीट पर प्रत्याशी बदले जाने को लेकर थी। पार्टी ने इस सीट पर रामप्रताप सिंह चौहान को हटाकर एक ऐसे प्रत्याशी को चुनाव लड़ाया जिसे भाजपा कार्यकर्ता पसंद नहीं करते थे क्योंकि बसपा में रहने के दौरान डॉक्टर धर्मपाल ने भाजपा के कई पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं पर मुकदमे दर्ज कराए थे। लेकिन 10 मार्च को जैसे ही मतगणना शुरू हुई और परिणाम आने शुरू हुए तो एत्मादपुर सीट पर कमल खिलने लगा और भारी मतों से डॉक्टर धर्मपाल ने जीत हासिल की।
फतेहाबाद सीट पर भी फेरबदल
भारतीय जनता पार्टी ने फतेहाबाद सीट पर भी अपने प्रत्याशी को बदल दिया था। वर्तमान विधायक जितेंद्र वर्मा को हटाकर पार्टी ने छोटे लाल वर्मा को टिकट दी थी। इसके तुरंत बाद जितेंद्र वर्मा ने भाजपा को छोड़कर सपा का दामन थाम लिया और सपा के जिला अध्यक्ष भी बने। इससे लगा कि भारतीय जनता पार्टी को नुकसान हो सकता है क्योंकि जितेंद्र वर्मा की निषाद समाज में अच्छी पैठ थी और छोटे लाल वर्मा अपने बिगड़े बोल से पहले से ही अपनी छवि धूमिल कर चुके थे लेकिन इन विवादों के बावजूद छोटे लाल वर्मा फतेहाबाद में कमल खिलाने में सफल रहे। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी रूपाली दीक्षित को भारी अंतर से शिकस्त दी।
फतेहपुर सीकरी पर भी हुआ था विवाद
फतेहपुर सीकरी सीट भी पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत बन गई थी। क्योंकि इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने बाबूलाल चौधरी पर दांव लगाया था। बाबूलाल चौधरी को एक बार फिर टिकट दिए जाने से पार्टी के वरिष्ठ नेता ही नाराज हो गए थे और उन्होंने निर्दलीय पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया था जिसके बाद बाबूलाल चौधरी और पार्टी के बड़े नेता उनके घर पहुंचे थे, उन्हें मनाया था। जिसके बाद बाबूलाल चौधरी की राह आसान हुई और बाबूलाल चौधरी भी फतेहपुर सीकरी पर कमल खिलाने में कामयाब रहे।