आगरा। आगरा राइटर्स एसोसिएशन के तत्वावधान में रविवार को यूथ हॉस्टल में देश के जाने-माने व्यंग्यकार अरविंद तिवारी के चर्चित उपन्यास ‘लिफाफे में कविता’ पर परिचर्चा आयोजित की गई। अरविंद तिवारी का यह चौथा व्यंग्य उपन्यास प्रतिभा प्रतिष्ठान, नई दिल्ली से प्रकाशित हुआ है और इन दिनों अपने कथानक को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है।
परिचर्चा में ताजनगरी व बाहर के जाने-माने व्यंग्यकार और साहित्य समीक्षकों ने उपन्यास की विषय वस्तु और कला पक्ष की भूरि भूरि सराहना की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि एवं लेखक रमेश पंडित ने प्रस्तुत उपन्यास को अपने समय की हकीकत के साथ एक रचनाकार की जागरूक उपस्थिति का धारदार दस्तावेज बताया।
मुख्य अतिथि डॉ. प्रेम जनमेजय (दिल्ली) ने कहा कि अरविंद तिवारी का उपन्यास मंचीय कविता की आधुनिक दुनिया के अॕंधेरे कोनों से झाँकती विसंगतियों का वास्तविक चित्रण है।
डा. आलोक पुराणिक (दिल्ली) ने कहा कि उपन्यास का कथानक यथार्थ के इतना करीब है कि पाठक को ये घटनाऍं और पात्र उसके देखे-सुने लगते है। अनूप शुक्ल (कानपुर) ने कहा कि उपन्यास का कथानक, पात्र और उनका चरित्र चित्रण रोचक, पठनीय एवं धारदार है।
परिचर्चा के संयोजक तथा वरिष्ठ साहित्य-समीक्षक डॉ. अनिल उपाध्याय ने कहा कि “लिफाफे में कविता” कवि सम्मेलनों में ग्लैमर व व्यावसायिकता से उपजी विसंगतियों एवं विद्रूपताओं का जीवंत दस्तावेज है। डॉ. अनुज त्यागी ने कहा कि अरविंद तिवारी का उपन्यास कवि सम्मेलनों के गिरते स्तर, साहित्यिक गुटबंदी और उठापटक की यथार्थपरक पड़ताल है।
अंत में प्रस्तुत उपन्यास के रचनाकार अरविंद तिवारी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि उपन्यास लिफ़ाफे में कविता” आज के कवि सम्मेलनों की हक़ीक़त का एक्स-रे है।
डॉ. अशोक विज ने सभी का आभार जताया। डॉ. अनिल उपाध्याय ने समारोह का संचालन किया। इस दौरान डॉ. आरएस तिवारी ‘शिखरेश’, डॉ. त्रिमोहन तरल, सुरेंद्र वर्मा सजग, अलका अग्रवाल, भरत दीप माथुर, रीता शर्मा, नूतन अग्रवाल, डॉ. मीता माथुर, दीक्षा रिसाल, डॉ. विजय लक्ष्मी शर्मा, आभा चतुर्वेदी, वंदना चौहान, अमीर अहमद जाफरी, मान सिंह मनहर, सुधांशु साहिल और नवीन वशिष्ठ भी मौजूद रहे।