Agra. पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर ऑल टीचर्स एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन ‘अटेवा’ ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। रविवार को बीडी जैन इंटर कॉलेज के सभागार में अटेवा की ओर से मंडलीय संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में मंडल भर्ती शिक्षक और शिक्षिकाओं ने भाग लिया, साथ ही शिक्षक संगठन से जुड़े कई संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। कार्यक्रम में अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुए जिन्होंने सभी शिक्षकों को संबोधित करते हुए उनसे संवाद भी किया।
पुरानी पेंशन हमारा हक
मंडलीय संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए शिक्षक और शिक्षिकाओं ने संवाद कार्यक्रम के दौरान एक स्वर में कहा कि पुरानी पेंशन हमारा हक है और इसे हम लेकर रहेंगे। सरकार पुरानी पेंशन को बहाल नहीं करना चाहती है क्योंकि वह इसमें अपना हित देख रही है। शिक्षकों ने दो टूक शब्दों में कहा कि शिक्षक हो या फिर राज्य कर्मचारी वह अपनी पूरी जवानी सरकार और अपने विभाग की सेवा करने में लगा देता है। बुढ़ापे में जब सेवानिवृत्त होता है तो उसका कोई भी साथ देने वाला नहीं होता, सिर्फ पेंशन ही उसका अंतिम सहारा होती है। वह सहारा भी अब सरकार उनसे छीनने का काम कर रही है।
तीन राज्यों में बहाल हुई है पुरानी पेंशन
अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि अटेवा ने पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे को राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है। इसी के चलते तो संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष इसकी पुरजोर तरीके से लड़ाई लड़ रहे हैं। संगठन की यह लड़ाई रंग लाई है। राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे की आवाज गूंजी तो 3 राज्यों की सरकार ने पुरानी पेंशन को बहाल कर दिया है। अब देश के अन्य राज्यों में पेंशन बहाली के लिए लड़ाई लड़नी है।
चुनाव से पहले होगा शक्ति प्रदर्शन
अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि अभी वह लगातार प्रदेश भर में घूम-घूम कर शिक्षकों को इस संगठन से जोड़ रहे हैं। पेंशन बहाली के आंदोलन की लड़ाई की रणनीति भी तैयार की जा रही है। 2030 के अंत तक 10 राज्यों में पुरानी पेंशन को बहाल करना है और लोकसभा चुनाव से पहले सरकार के सामने एक बड़ा शक्ति प्रदर्शन भी करना है जिससे 2024 में पुरानी पेंशन पूरे देश में बहाल हो जाए।
एनपीएस के माध्यम से सरकार दे रही है धोखा
अटेवा आगरा के जिला संयोजक जुग्गीलाल वर्मा का कहना है कि एनपीएस के माध्यम से सरकार धोखा देने का काम कर रही है। उनके संगठन का एक सूत्र आंदोलन और कार्यक्रम है कि पुरानी पेंशन बहाल कराई जाए। एनपीएस के माध्यम से बाजार के उतार-चढ़ाव के अनुसार ही पेंशन मिलना तय हुआ है और यह ठीक नहीं है। हाल ही में एक शिक्षिका सेवानिवृत्त हुई जिनकी तनख्वाह लगभग 60000 थी लेकिन अब उन्हें मात्र 450 महीने की पेंशन मिल रही है, यह कैसा न्याय है।