इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में डीजे बजाने पर प्रतिबंध लगाया था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है। दरअसल यह प्रतिबंध सन 2019 में हाई कोर्ट द्वारा पूरे राज्य में लगाया गया था लेकिन जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया। न्यायाधीशों की बेंच का कहना है कि एक निजी पक्ष की ओर से दायर याचिका पर इस तरह का सामान्य आदेश पारित नहीं किया जा सकता। लेकिन हाई कोर्ट ने प्रभावित पक्ष की बिना सुनवाई किए ही आदेश पारित कर दिया।सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ध्वनि प्रदूषण मामलों में दिए गए आदेशों का पालन किया जाए। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि प्रदेश सरकार द्वारा जारी लाइसेंस लेकर डीजे बजाया जा सकेगा।
सबसे ताज्जुब की बात तो यह है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह आदेश जिस याचिका के आधार पर जारी किया था, उसमें डीजे पर रोक लगाने की मांग ही नहीं थी। गौरतलब है कि इस दायर याचिका में सिर्फ एक इलाके में डीजे से होने वाले शोर को लेकर राहत की मांग की गई थी।
राज्य सरकार की तरफ से अधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने दलील में कहा कि 4 जनवरी 2018 को सरकार ने डीजे और इंडस्ट्रियल एरिया में शोर की आवाज को लेकर निर्देश जारी किया था। हाई कोर्ट के आदेश के हिसाब से 2019 से राज्य में DJ नहीं बज रहा है और सरकार भी हाई कोर्ट के आदेश का पालन कराती रही है।बता दें इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अगस्त 2019 में पूरे राज्य में डीजे पर प्रतिबंध लगा दिया था। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस आदेश को गलत ठहरा दिया है।