Agra. नगर निगम आगरा को पिछले चार साल से जिस अनुमति का इंतजार था वो इंतजार गुरुवार को समाप्त हो गया। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर कूड़े से बिजली बनाने के प्लांट के लिए अनुमति दे दी।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने आदेश देते हुए कहा कि कूड़े का निपटारा करना पर्यावरण के लिए बेहद जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद नगर निगम 550 मेट्रिक टन कचरे से लगभग 10 मेगावाट बिजली का उत्पादन करेगा भविष्य में इस प्लांट की क्षमता को भी बढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने सीएनडी वेस्ट से एक बार आपके लिए मिट्टी निकालने और टाइप तैयार करने की टीपीडी प्लांट को भी मंजूरी दी है। सर्वोच्च न्यायालय से कूड़े से बिजली बनाई जाने के प्लांट की अनुमति मिलने से निगम के अधिकारी भी काफी उत्साहित नजर आए।
नगर आयुक्त निखिल टीकाराम पांडे ने बताया कि नगर निगम द्वारा कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर कूड़े से बिजली बनाने के प्लांट के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मांगी गई थी। यह मसला पिछले 4 वर्ष से अटका हुआ था। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि पूरे का निपटारा पर्यावरण के लिए बेहद जरूरी है, इसी को ध्यान में रखते हुए पीठ ने वेस्ट टू एनर्जी प्लांट को अनुमति दी है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने की पैरवी-
इस प्लांट की अनुमति के लिए गुरुवार को हुई सुनवाई में आगरा नगर निगम की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पैरवी की। उन्होंने पक्ष रखते हुए कहा कि नेशनल एनवायरमेंट एंड इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने प्लांट को लेकर कोई आपत्ति नहीं की है। पर्यावरण प्रभाव आकलन प्लांट के पक्ष में है। नीरी के सुझाव के मुताबिक काम किया जाएगा। इस पर कोर्ट ने प्लांट को मंजूरी दे दी।
550 मीट्रिक टन कचरे से बनेगी 10 मेगावाट बिजली-
नगर निगम द्वारा प्रत्येक दिन एकत्रित किये जाने वाले 550 मीट्रिक टन कचरे से 10 मेगावाट बिजली बनाई जाएगी। बाद में इस प्लांट की क्षमता बढ़ाकर 750 मीट्रिक टन की जा सकती है। तब 15 मेगावाट तक बिजली बनाई जा सकेगी। उत्तर प्रदेश में अपनी तरह का यह पहला प्लांट है। कूड़े से बिजली बनाकर उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन को बेचेगी।
पीपीपी मॉडल पर लगाया जाएगा प्लांट-
नगर आयुक्त निखिल कुमार पांडे ने बताया कि वेस्ट टू एनर्जी प्लांट पीपीपी मोड पर लगाया जाएगा। इसके लिए नगर निगम कंपनी को केवल सिर्फ जमीन उपलब्ध कराएगा। यह प्लांट भारत की कंपनी इस्पात एनर्जी लिमिटेड और चेक रिपब्लिक की कंपनी बेसन का संयुक्त उपक्रम होगा। टीटीजेड में कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर कूड़े से बिजली बनाने के प्लांट के लिए अक्तूबर 2017 में चेक रिपब्लिक के प्राग शहर की कंपनी स्पार्क ब्रेसन ने पैरवी की थी। चेकोस्लोवाकिया की कंपनी स्पार्क ब्रेसन 175 करोड़ रुपये की लागत से प्लांट लगाएगी।
सूखे और गीले कचरे से बिजली बनाने वाले देश का पहला प्लांट-
स्पार्क ब्रेसन अधिकारियों का दावा है कि पूरे देश में ही अपनी तरह का यह अकेला प्लांट होगा। अन्य शहरों में केवल आरडीएफ यानी सूखे कचरे से ही बिजली बनाने के प्लांट लगाए गए हैं, जबकि इसमें सूखा और गीला दोनों तरह का मिक्स कचरा इस्तेमाल हो पाएगा। इसमें 4 फीसदी से ज्यादा सिल्ट नहीं होगी। इससे ज्यादा सिल्ट पर प्लांट में तकनीकि दिक्कतें आ जाएंगी। इसलिए सिल्ट और सीएंडडी वेस्ट के लिए अलग से 140 टीपीडी का प्लांट लगाया गया है, जो कुबेरपुर में ही लगाया जाएगा।
140 टीपीडी प्लांट को भी मिली मंजूरी-
नगर आयुक्त निखिल टीकाराम फुंडे ने बताया कि गुरुवार को न केवल कूड़े से बिजली बनाने के प्लांट को अनुमति दी गई, बल्कि नगर निगम का सी एंड डी वेस्ट से ईंट, भराव के लिए मिट्टी निकालने और टाइल्स तैयार करने के 140 टीपीडी प्लांट को भी सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी मिली है। इन दोनों प्लांट के बनने के बाद शहर में हर दिन निकल रहे 750 मीट्रिक टन कचरे का निस्तारण हो पाएगा और कुबेरपुर लैंडफिल साइट पर कूड़े के पहाड़ नजर ही नहीं आएंगे।
कूड़े के पहाड़ों से मिलेगी निजात-
शहर में कूड़े के निस्तारण की बड़ी समस्या है जहां भी लैंसफिट साइड बनी है, वहां कूड़े के पास खड़े हो गए हैं। नगर निगम कुबेरपुर में बन चुके कचरे के पहाड़ों का वैज्ञानिक विधि से निस्तारण करा रहा है। इस पर कार्य इकतीस सौ करोड़ रुपए का खर्च आ रहा है, अधिकांश काम पूरा हो चुका है। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि अगले तीन-चार महीने के अंदर पूरा कचरा निस्तारण कर के वहां पर विकसित किया जाएगा पार्क का कुछ हिस्सा पहले ही बन चुका है।
आगरा नगर निगम के पर्यावरण अभियंता राजीव कुमार राठी ने बताया कि कूड़े से बिजली बनाने में जहां सूखा और गीला कचरा निस्तारित होगा, वहीं सीएंडडी वेस्ट से टाइल्स, ईंट, भराव के लिए मिट्टी निकलेगी। वैट स्क्रबर तकनीक का इस्तेमाल इस प्लांट में किया जाएगा।
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