आजाद भारत में पहली बार अमरोहा हत्याकांड की दोषी शबनम को मृत्युदंड दिया जा रहा है। ऐसा पहली बार है कि किसी महिला को फांसी के फंदे पर लटकाया जा रहा है। इन सभी के बीच एक बार फिर संभावनाओं को लेकर मृत्युदंड से बचने के लिए शबनम ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के समक्ष दया याचिका दायर की है।
गुरूवार को आजाद भारत में पहली फांसी की सजा पाने वाली महिला शबनम ने एक बार फिर से दया की गुहार लगाई है। शबनम के वकील ने इसे लेकर उससे मुलाकात की और उनसे मिलने के बाद शबनम से दया याचिका पर हस्ताक्षर कराएं हैं। इस याचिका को जेल प्रशासन द्वारा राज्यपाल को भेजा गया।
गौरतलब है कि 13 साल पहले शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी थी। उन दोनों ने मिलकर परिवार के लोगों की चाय में जहर मिला दिया था जिसके कारण परिवार के लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा शबनम ने खुद कबूला था कि उसने अपने भांजे की भी गला घोंटकर हत्या कर दी थी। इस मामले में सुनवाई हुई और उसमें शबनम को दोषी पाया गया। शबनम प्रदेश की एकमात्र मथुरा की महिला जेल में बंद है और उसको फांसी पर चढ़ाने के लिए डेथ वारंट कभी भी जारी किया जा सकता है।
हालांकि इससे पहले शबनम के बेटे ताज ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पहली बार दया याचिका भेजी थी लेकिन इस याचिका को अस्वीकार कर दिया गया था। अब शबनम ने खुद दया याचिका दाखिल है।
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