आगरा। 18 फरवरी से 27 फरवरी तक शिल्पग्राम में चलने वाले ताज महोत्सव की तैयारियां पूरी हो चुकी है। सियाराम के जयघोष के साथ शिल्प और संस्कृति के महोत्सव का आगाज होगा। ताज महोत्सव का 18 फरवरी शाम को उद्घाटन किया जाएगा और उद्घाटन के अवसर पर सियाराम परमधाम नामक नृत्य नाटिका मुख्य आकर्षण होगी तो 21 फरवरी को शिवरात्रि के अवसर पर गंगा अवतरण नृत्य नाटिका शिव महिमा का बखान भी होगा। इतना ही नहीं प्रतिदिन विभिन्न मंचो पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों होंगे तो रात के समय स्टार नाईट का भी आयोजन होगा। इस पूरे आयोजन की जानकारी सोमवार को प्रेस वार्ता के माध्यम से मंडलायुक्त अनिल कुमार ने दी। इस प्रेसवार्ता में जिलाधिकारी पीएन सिंह, नगर आयुक्त अरुण प्रकाश और पर्यटन विभाग के अधिकारी भी शामिल हुए।

शिल्पग्राम में आयोजित हुई प्रेसवार्ता के दौरान मंडलायुक्त अनिल कुमार ने बताया कि शिल्पग्राम में साज-सज्जा व अन्य व्यवस्थाओं का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। बाहर से आने वाले शिल्पियों का आना शुरू हो गया है। ताज महोत्सव की थीम इस बार संस्कृति के रंग-ताज के संग रखी गई है और महोत्सव में आने वाले देशी विदेशी पर्यटक भारतीय संस्कृति से रूबरू हो सकेंगे।
प्रेसवार्ता के दौरान मंडलायुक्त ने बताया कि इस महोत्सव का शुभारंभ सियाराम के जयघोष के साथ होगा और उसके साथ ही सियाराम परमधाम नामक नृत्य नाटिका की शुरुआत होगी। 24 फरवरी को ताजमहल निहारने के लिए आगरा आ रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरे से लोगों को अधिक परेशानी न हो इसका भी ध्यान रखा जाएगा। मंडलायुक्त अनिल कुमार ने बताया कि ताज महोत्सव में देश भर से लगभग 258 शिल्पी शामिल होंगे और अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे तो 10 दिन तक मुख्य मंच देश के कोने-कोने से जुटे कलाकारों की प्रस्तुतियों से सराबोर रहेगा।
18 से 27 फरवरी तक शिल्पग्राम और सूरसदन में प्रस्तुतियां होंगी। 19 से 27 फरवरी तक सदर बाजार स्थित मुक्ताकाशीय मंच पर शाम को कार्यक्रम होंगे। शिल्पग्राम में देश के कोने-कोने से शिल्पी आ रहे हैं। इसके लिए यहां 360 स्टॉल बनाई गई हैं। सोमवार से शिल्पियों का पहुंचना और स्टॉल आवंटन शुरू हो जाएगा। इस बार महोत्सव में सामाजिक संदेशों के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जाएगा।
मंडलायुक्त अनिल कुमार ने बताया कि हर साल 18 से 27 फरवरी के बीच लगने वाले ताज महोत्सव का उद्देश्य ही देश की संस्कृति और पर्यटन को बढ़ावा देना है। इसके लिए महोत्सव में परम्परागत शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत और लोक कला को प्रदर्शित किया जाता है, साथ ही देश के कोने कोने से आए शिल्पियों की कला को बढ़ावा देना है।