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बच्चों से भीख मंगवाने के ख़िलाफ़ पुलिस द्वारा शुरू किए गए ‘Triple R’ अभियान से RTI Activist नहीं संतुष्ट

by admin
RTI Activist not satisfied with 'Triple R' campaign launched by police against begging children

Agra. भिक्षावृत्ति के खिलाफ एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (Anti Human Trafficking यूनिट) और आगरा पुलिस (agra police) ने ट्रिपल आर (Rescue, Rehabilitation, Restoration) अभियान शुरू किया है। इस अभियान के माध्यम से नाबालिग बच्चों को भिक्षावृत्ति के दलदल से बाहर निकालना, उन्हें रेस्क्यू करना और भिक्षावृत्ति कराने वाले गिरोह के खिलाफ कार्रवाई करना है लेकिन इस अभियान को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस संतुष्ट नहीं है। उनके मुताबिक पहले भी चलाये गए इस अभियान के परिणाम सार्थक नजर नहीं आए।

शनिवार को शुरू किए गए इस अभियान के माध्यम से एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट और आगरा पुलिस ने मिलकर प्रताप पुरा चौराहे से दो नाबालिग बच्चों को गुब्बारे बेचते हुए रेस्क्यू किया। माजरा समझते ही नाबालिग के साथ मौजूद गिरोह के अन्य सदस्य मौके से फरार हो गए। बच्चों को छुड़ाने पुलिस के पास तक नहीं आये। पुलिस टीम दोनों बच्चों का रेस्क्यू करने के साथ उनका रेहबलिटेशन करेंगे। इसके बाद दोनों बच्चों का रेस्टोरेशन किया जाएगा। पुलिस के Triple R अभियान ने शातिरों पर प्रहार हो रहा है। शहर की सड़कों पर बच्चो से भीख मंगवाने वालो की तलाश की जा रही है।

आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस ने बताया कि आगरा पुलिस और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने जो अभियान शुरू किया है। अभियान अच्छा है लेकिन पुलिस अधिकारियों की शिथिल कार्यवाही के कारण इसके परिणाम अच्छे नहीं आये जिससे उन्हें इन अभियानों पर भरोसा नहीं होता है। इसलिए उन्होंने एसएसपी को भी पत्र लिखा है।

उन्होंने बताया कि पूर्व में चलाए गए भिक्षावृत्ति के खिलाफ अभियान में 69 बच्चे रेस्क्यू किए गए। जिनमें से शहर के केवल 22 बच्चे थे जबकि 47 बच्चे बाहर के मिले। जिनमें बाहरी जनपदों के अलावा अन्य राज्यों के बच्चे भी थे। इसका तात्पर्य है कि बच्चों की तस्करी करके बाहर से बच्चों को लाकर भिक्षावृत्ति कराई जा रही है। इस अभियान के बाद बच्चों का फाॅलोअप नहीं किया गया और बच्चों को किसी सरकारी योजना से जोड़ा नहीं गया।

पुलिस के रेस्क्यू आपरेशन से पहले महफूज द्वारा एमजी रोड का सर्वे किया गया जिसमे 45 बच्चे भीख मांगते मिले थे। उनकी सूची पुलिस प्रशासन को दी थी। पुलिस ने इस अभियान के तहत जिन बच्चों को रेस्क्यू किया गया, वह उन्हीं को सौंप दिए गए जो उनसे भिक्षावृत्ति करा रहे थे। उनको किसी भी सरकारी योजना से जोड़कर पुनवार्सित नहीं किया गया और भीख मंगवाने वालों के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई। जिससे भिक्षा भर्ती कराने वालों के हौसले और ज्यादा बुलंद हो गए। उन्होंने एक बार फिर से शहर की सड़कों पर बच्चों से भीख मंगवाना शुरू कर दिया है।

आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस ने बताया कि किशोर न्याय अधिनियम की धारा 76(1) के तहत भीख मंगवाना अपराध है। यदि कोई भीख मंगवाने के लिए बच्चों को नियोजित करता है या किसी बच्चे से भीख मंगवाता है तो पांच साल की कैद और एक लाख रूपया दंड का प्रावधान है। इसी अधिनियम की धारा-76(2) के खंड 14 के उपखंड-5 के तहत जो भी व्यक्ति भीख मंगवाता है उसे अयोग्य माना जाएगा। संरक्षकता हटा ली जाएगी। समुचित पुनर्वास के लिए बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। इसी प्रकार बाल श्रम (प्रतिबंध एवं नियमन) संशोधन अधिनियम, 2016 के तहत कोई भी व्यक्ति काम कराने के लिए बच्चों का इस्तेमाल करता है जिससे पैसे की आमदनी होती है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है। किसी भी काम के लिए 14 साल से कम उम्र के बच्चे को नियुक्त करने वाले व्यक्ति को दो साल तक की कैद की सजा तथा उस पर 50,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।

नरेश पारस का कहना है कि आगरा पुलिस के इस अभियान के शुरू न करने के कारण भिक्षावृत्ति कराने वाले गिरोह के हौसले बुलंद होगा और वह एक बार फिर सड़कों पर बच्चों से भीख मंगवा रहे हैं। पुलिस ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के साथ मिलकर ट्रिपल आर अभियान शुरू किया है लेकिन अगर इस अभियान का भी फॉलो नहीं किया गया और रेस्क्यू की गई बच्चों को सरकारी योजनाओं से जोड़कर उनका पुनर्वास नहीं कराए गया तो फिर इस अभियान के क्या मायने हैं।

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