राहुल गांधी को सोमवार को कांग्रेस के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए है। राहुल गांधी गांधी-नेहरु पीड़ी के छठे ऐसे नेता है जो कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुने गए हैं। गुजरात में अगले सप्ताह विधानसभा के दूसरे चरण का मतदान होने है। इससे पहले राहुल गांधी का कांग्रेस अध्यक्ष बनना कार्यकर्तोओं के लिए अच्छी खबर माना जा रहा है।
2003 से वह सार्वजनिक समारोहों और कांग्रेस की बैठकों, रैलियों में अपनी माँ सोनिया के साथ दिखाई देने लगे। राहुल गांधी राजनीति में कदम रखेंगे इसका इशारा उन्हें उस समय दिया जब जनवरी 2004 में एक सभा के दौरान मीडिया के पूछने पर राहुल ने कहा, ‘मैं राजनीति के खिलाफ नहीं हूं। मैंने यह तय नहीं किया है कि मैं राजनीति में कब आऊंगा और वास्तव में, आऊंगा भी की नहीं।’
2006 तक उन्होंने कोई अन्य पद ग्रहण नहीं किया और निर्वाचन क्षेत्र के मुद्दों और उत्तर प्रदेश की राजनीति पर ध्यान केंद्रित किया। हैदराबाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सम्मेलन में, कांग्रेस पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी को पार्टी में महत्वपूर्ण नेतृत्व की भूमिका के लिए प्रोत्साहित किया
2007 में राहुल पार्टी के महासचिव बने। 2007 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए एक उच्च स्तरीय कांग्रेस अभियान में उन्होंने प्रमुख भूमिका अदा की। हालाँकि कांग्रेस ने 8.53% मतदान के साथ केवल 22 सीटें ही जीतीं।
2009 के परिणामों को भूल नहीं सकते, जब भाजपा की लहर होते हुए भी कांग्रेस बाजी मार ले गई थी। राहुल गांधी की युवा शक्ति कब करिश्मा दिखा दे यह कोई नहीं जानता है। देश का मुस्लिम और दलित वोट कहीं न कहीं कांग्रेस के पक्ष में आता दिख रहा है। 2009 के लोकसभा चुनाव में राहुल अमेठी से 3 लाख से भी ज्यादा वोटों के अंतर से जीतकर सांसद बने। इन चुनावों में कांग्रेस अपने बलबूते यूपी में 21 सीटें जीतकर आई।
2011 में जब जमीन अधिग्रहण का मुद्दा छाया हुआ था। राहुल गांधी किसानों से मिलने मोटरसाइकिल पर सवार होकर ग्रेटर नोएडा के भट्टा परसौल पहुंचे। यहां किसानों के साथ उनकी मिट्टी ढोते तस्वीरें सामने आईं। जो काफी वायरल हुई। यूपीए-2 के अपने दूसरे कार्यकाल में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह राहुल गांधी को अपनी कैबिनेट में शामिल करना चाहते थे, लेकिन राहुल गांधी ने इंकार कर दिया।
2012 में यूपी चुनाव में नेतृत्व किया, सिर्फ 28 सीटें जीतीं।
2013 में राहुल गांधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष बनाए गए। इस तरह राहुल गांधी कांग्रेस में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के बाद दूसरे नंबर आ गए।
2014 का चुनाव कांग्रेस के इतिहास का सबसे बुरा चुनाव साबित हुआ। 132 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी का ग्राफ केवल 44 पर आकर सिमट गया। इस नाकामी को राहुल गांधी की असफलता ठहराया गया।
2016 के बजट सत्र में राहुल गांधी ने नोटबंदी पर बोलते हुए लोकसभा में कहा था, ‘सरकार ने एक नई योजना अनाउंस की। फेयर एंड लवली योजना। इस योजना में हिंदुस्तान का कोई भी चोर अपने काले धन को सफेद कर सकता है’।
11 दिंसबर 2017 को कांग्रेस में राहुल युग की शुरुआत हो गई।