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अंतिम शव यात्रा में पृथ्वी के स्कूल दोस्त भी हुए शामिल, यारों की यारी याद कर हुए भावुक

by admin
Prithvi's school friends also participated in the last funeral procession, emotional remembering the friendship of friends

आगरा। आगरा के विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान को अंतिम विदाई देने के लिए उनके सैनिक स्कूल के दोस्त भी उनकी अंतिम शव यात्रा में शामिल हुए। उनके पार्थिव शरीर के साथ ही वो सभी ताजगंज श्मशान घाट पहुँचे। पृथ्वी सिंह को तिरंगे में लिपटा देख दोस्तों की आंखें नम थी। उन्हें विश्वास नहीं हो पा रहा है कि जिंदादिल दोस्त उनके बीच नहीं है। उनका कहना था कि शहीद विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान देश के 20 सबसे बेहतरीन पायलट में शामिल थे जो आज हमारे बीच नहीं है।

शमशान घाट ताजगंज में पृथ्वी के अंतिम संस्कार में भाग लेने वाले दोस्तों का कहना है था कि हमें हादसे के समय ही हमारे अन्य साथी जो एयरपोर्ट में है, उनसे पता चल गया था कि विग कमांडर का हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया है। यह सुनते ही हमने शहीद विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान से मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन बात नहीं हो पाई। फिर शाम को जब उसके शहीद होने की खबर मिली तो हमें एक बार को विश्वास ही नहीं हुआ। उनके दोस्तों ने बताया कि आर्मी स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही जिस तरह से उसका लक्ष्य एयरफोर्स में जाने के लिए पक्का था, वैसे ही हमारी दोस्ती भी पक्की थी। तमाम ऐसे मौके आते थे जब हम सब साथ-साथ होते थे। खूब अपनी फ्यूचर प्लानिंग के साथ ही एक-दूसरे को मोटिवेट भी करते थे।

भोपाल से आए नितिन खरे ने बताया कि हम सैनिक स्कूल में शहीद हुए कमांडर पृथ्वीराज पृथ्वी सिंह चौहान के साथ पढ़े थे। 11 साल की उम्र में ही हम लोगों को सैनिक स्कूल भेज दिया गया था। शुरू से ही उनका एक बेहतर पायलट बनने का था। इसीलिए उन्होंने मेहनत और लगन के साथ अपने इस सपने को साकार किया। हादसे की सूचना मिलने पर पता चला कि हमारा दोस्त नहीं रहा। बड़ा अफसोस है कि जो दोस्त हमारा देश के बीच बेहतरीन पायलटों में शामिल था वह एक हादसे का शिकार हो गया।

भोपाल से आए दोस्त हर्षित ने बताया कि भले ही हम बचपन के दोस्त थे लेकिन अभी तक हमारी दोस्ती कायम थी। दोस्त पृथ्वी सिंह हमेशा दूसरों को मोटिवेट करता था और खुद भी मोटिवेट रहता था। भोपाल से आए दोस्त हेमंत कुमार ने बताया कि वह सरकारी विभाग में नौकरी करता है। उन्होंने बताया कि सैनिक स्कूल के दिनों में ही वह फौज में जाने के लिए बातें करता रहता था। सैनिक स्कूल के बाद ही उसका एनडीए में सलेक्शन हो गया था। लगातार हम लोग संपर्क में थे। जब भी मिलते थे तो खूब अपनी भविष्य की प्लानिंग को लेकर बातचीत करते थे। विंग कमांडर पृथ्वी सिंह की उम्र बहुत कम थी, लेकिन उससे पहले ही उसे यह पोस्ट मिल गई थी रिटायरमेंट तक बड़ी पोस्ट तक जाता था। मगर इस हादसे ने सब कुछ बदल कर रख दिया। आज यारों का यार हमारे बीच नहीं रहा।

आज सबकी आंखें नम है। सोचा नहीं था कि एक दिन ऐसा आएगा कि हंसमुख और सब को खुश रखने वाला हमारा दोस्त पृथ्वी हम लोगों के बीच नहीं रहेगा। आज पुरानी यादें सभी को रुला रही हैं।

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