फिरोजाबाद। शिकोहाबाद स्थित दिखतौली गाँव में 7 फुट लंबा मगरमच्छ भटकते हुए आ गया। विशालकाय मगरमच्छ को देख जहां ग्रमीणों में हड़कंप मच गया तो वहीं इसकी सूचना प्रशासन को दी गयी जिसके बाद वाइल्डलाइफ एसओएस की टीम ने सफलतापूर्वक बचाया और बाद में वन विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में बटेश्वर घाट में छोड़ दिया।
बुधवार दोपहर को दिखतौली गांव में मगरमच्छ बहने वाली नहर से बाहर निकला और गाँव की तरफ बढ़ने लगा। मामलों को अपने हाथ में लेते हुए लोगों ने मगरमच्छ पर पथराव करना शुरू कर दिया, लेकिन वक़्त रहते वन विभाग के अधिकारियों द्वारा हस्तक्षेप कर उन्हें तुरंत रोक दिया गया। वन विभाग ने बचाव अभियान चलाने में उनकी सहायता के लिए आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर (+ 91-9917109666) पर वाइल्डलाइफ एसओएस की टीम से भी संपर्क किया।

वाइल्डलाइफ एसओएस की रेस्क्यू टीम तुरंत सुरक्षात्मक और रेस्क्यू उपकरणों के साथ मौके पर पहुची। ताकत और बल के इस्तेमाल से मगरमच्छ को पकड़ने से उसे और अधिक तनाव हो सकता था, इसलिए टीम ने पिंजरे में खाने की वस्तु डाल उसे वहाँ रख दिया। थोड़ी देर के इंतज़ार के बाद मगरमच्छ पिंजरे में आ गया जिसे बाद में बटेश्वर घाट पर यमुना नदी में छोड़ दिया गया।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा कि “मगरमच्छों के प्रति डर और भय के कारण, मानवों की इस प्रजाति के साथ संघर्ष की घटनाएं होती हैं। इस तरह की कार्रवाइयां खतरनाक हैं और यहां तक कि अनचाही दुर्घटनाओं को जन्म भी दे सकती हैं, इसलिए ज़रूरी है की ऐसी स्थिति में एक्सपर्ट्स द्वारा ही बचाव अभियान को अंजाम दिया जाए। यह आवश्यक है कि हम जंगली जानवरों की उपस्थिति के प्रति संवेदनशील रहें। हमें इस बात की ख़ुशी है की ऐसे बचाव कार्यों के संचालन के लिए हम वन विभाग की सहायता करते हैं।”
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी, ने कहा, “गर्मियों के मौसम में छोटी नहर और तालाब सूख जाते हैं जिसकी वजह से मगरमच्छ बड़ी जल निकायों की ओर पलायन करते हैं। मगरमच्छ तालाबों, नदियों, झीलों और दलदल जैसे प्राकर्तिक वातावरण में पाए जाते हैं और वे अधिक उपयुक्त आवास की तलाश में भूमि पर काफी दूरी भी तय कर सकते हैं। “
रामदास, वनछेत्राधिकारी, शिकोहाबाद रेंज ने कहा कि “मगरमच्छ कृषि क्षेत्रों तक जाने वाली एक नहर के माध्यम से गाँव में पहुँच गया था। हम इस तरह के संवेदनशील रेस्क्यू और रिलीज़ ऑपरेशन के संचालन में विशेषज्ञ सहायता के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस टीम के आभारी हैं। ”
मगर क्रोकोडाइल जिसे मार्श क्रोकोडाइल भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप, श्रीलंका, बर्मा, पाकिस्तान और ईरान के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं। यह आमतौर पर ताज़ा पानी वाली जगह जैसे नदियों, झीलों, पहाड़ी नदियों, गाँव के तालाबों और मानव निर्मित जलाशयों को अपना आवास बनाते है।
एक समय पर, यह मगरमच्छ पूरे उपमहाद्वीप में बड़े पैमाने पर हुआ करते थे, लेकिन समय के साथ उनके प्राकर्तिक निवास के विनाश, शिकार, भोजन में कमी, मानव अतिक्रमण और बढ़ती संघर्ष स्थितियों के कारण घट गई है।