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बलिया में पत्रकार की हत्या को लेकर दिखा आक्रोश, सरकार से की 50 लाख मुआवजा देने की मांग

by admin

आगरा। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में बीते सोमवार शाम को बदमाशों द्वारा एक पत्रकार की हत्या कर देने के बाद पत्रकार जगत में एक बार फिर सरकार के प्रति रोष व्याप्त हो गया है। आगरा जिले में भी सभी पत्रकारों में इस घटना को लेकर आक्रोश देखा गया। सभी पत्रकार आज दोपहर 12 बजे संजय प्लेस स्थित शहीद स्मारक पर एकत्रित हुए जहां सभी ने दिवगंत पत्रकार रतन सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए 2 मिनट का मौन व्रत धारण किया।

इसके बाद मृतक पत्रकार रतन सिंह के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए सभी पत्रकारों ने योगी सरकार द्वारा दिए गए ₹10 लाख के मुआवजे को कम बताया और एक स्वर में इस मुआवजे को बढ़ाकर परिवार को 50 लाख रुपये के साथ एक सरकारी नौकरी देने के लिए योगी सरकार से मांग की। इतना ही नहीं इन दिनों पत्रकारों पर हो रहे जानलेवा हमले और सच्चाई का खुलासा करने पर शासन-प्रशासन द्वारा जेल भेजे जाने का भय दिखाए जाने पर आगरा के पत्रकारों ने अपना आक्रोश व्यक्त किया

सहारा न्यूज़ चैनल से अनिल शर्मा का कहना था कि पत्रकार का हथियार उसका कलम है और वह समाज के सामने अपनी जान की परवाह किए सच्चाई को सामने रखता है, इसलिए उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है लेकिन सरकार पत्रकारों की सुरक्षा के प्रति उदासीन दिख रही है। यही कारण है कि पत्रकारों पर हमले आम होते जा रहे हैं। हम पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाए जाना बहुत जरूरी है। सरकार को अपनी कथनी और करनी का भेद मिटाते हुए जल्द ही कानून लागू करना चाहिए।

न्यूज़ नेशन से विनीत दुबे का कहना था बलिया में हुई घटना दुःखद है। सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए। प्रशासन भी अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा रहा है। प्रदेश में पत्रकारों की हत्या को लेकर अब तक तीन बड़ी घटनाएं हो चुकी है। हमारी सरकार की मांग है कि पत्रकार की सुरक्षा को लेकर अब ठोस कदम उठाए।

एबीपी गंगा से नितिन उपाध्याय का कहना था पत्रकारों पर हमले की जो घटनाएं हो रही हैं वह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। पत्रकार समाज का प्रहरी होता है और सच्चाई को सामने लाता है लेकिन आज शासन-प्रशासन में अपनी आलोचना सुनने की क्षमता नहीं है जिसके चलते उस पर मुकदमे भी दर्ज किए जा रहे हैं। इससे अवांछित तत्वों को बल मिल रहा है और वे आज पत्रकार की जान लेने से बाज नहीं आ रहे। यह समाज के लिए अच्छा संदेश नहीं है। इन घटनाओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह अघोषित इमरजेंसी का दौर है। सरकार को पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कड़ा कानून बनाने की जरूरत है।

इस मौके पर अनुपम पांडे, शिव चौहान, शोभित चतुर्वेदी, समीर क़ुरैशी, संजय सिंह, सैय्यद शक़ील, सज्जन सागर, हरीश, कपिल अग्रवाल, अनुज उपाध्याय, कपिल अग्रवाल-2, सोनू मल्होत्रा, कामरान वारसी, शिवम प्रजापति, मनोज वर्मा, फरहान खान, एसपी सिंह, आदित्य आदि मौजूद रहे।

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