आगरा। टूंडला रेलवे स्टेशन पर आजादी के बाद से चली आ रही पुरानी मैकेनिकल सिग्नलिंग प्रणाली को आखिरकार रेलवे ने वर्तमान समय की मांग के अनुसार बदल दिया गया है। रेलवे ने 65 साल पुरानी मैकेनिकल सिग्नलिंग प्रणाली को इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के सबसे उन्नत और सुरक्षित सिस्टम में परिवर्तित कर दिया है। बताया जाता है कि रेलवे द्वारा यह कार्य लगभग 50 दिनों में पूरा किया है।
मैकेनिकल सिग्नलिंग प्रणाली के इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग हो जाने पर आउटर पर खड़ी होने वाली ट्रेनें भी अब सीधे प्लेटफार्म तक पहुंचेंगी। ट्रेनों की गति सीमा में भी परिवर्तन होगा और धीरे-धीरे ट्रेनों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। यह जानकारी उत्तर मध्य रेलवे महाप्रबंधक राजीव चौधरी ने पत्रकारों से रूबरू होने के दौरान दी।
उत्तर मध्य रेलवे महाप्रबंधक राजीव चौधरी ने टूंडला स्टेशन का निरीक्षण किया और पत्रकार वार्ता की। जीएम राजीव चौधरी ने बताया कि सुपरसैचुरेटेड मार्ग पर टूंडला एक महत्वपूर्ण जंक्शन है और आगरा कैंट को मुख्य लाइन से जोड़ता भी है। बढ़ती ट्रेनों की गति और समय सीमा को देखते हुए रेलवे बोर्ड द्वारा इस जंक्शन पर केबिन प्रणाली को समाप्त कर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग का कार्य पूरा कराया है। उन्होंने बताया कि टूंडला जंक्शन अभी तक 1955 में स्थापित मेकैनिकल इंटरलॉकिंग सिग्नलिंग सिस्टम के साथ काम कर रहा था। केबिनों के बीच मैनुअल संचालन और समन्वय में लगभग पांच से सात मिनट का समय लगता था। अब यह काम मात्र तीस सेकेंड में हो जाएगा। अब ट्रेनें बिना रुके प्लेटफार्म पर आ सकेंगी।
उन्होंने बताया कि 1998- 99 में मैकेनिकल सिग्नलिंग की रीमॉडलिंग और उसे हटाने के काम को स्वीकृत किया गया था लेकिन टूंडला जंक्शन पर ट्रेन संचालन का अत्यधिक दबाव होने के कारण यह कार्य शुरू नहीं हो सका था। जीएम ने बताया कि इस रूट पर निरंतर मालगाडिय़ों को कम किया जा रहा है। इससे पैसेंजर ट्रेनों का संचालन समय से होगा और ट्रेनों की संख्या भी बढ़ाई जा सकेगी। उन्होंने नीलांचल व कानपुर शताब्दी के स्टॉपेज को लेकर भी आश्वासन दिया।