आगरा। कमला नगर की पॉश कॉलोनी में स्थित 641 भवन को भू माफियाओं को सांठगांठ कर बेचे जाने मामले में प्रतिदिन नई परतें खुलती हुई नजर आ रही हैं। भ्रष्टाचार का यह मामला दो दशक पुराना है लेकिन भ्रष्टाचार की जड़ें अभी तक खत्म नहीं हो पाई। क्योंकि भ्रष्टाचार को बढ़ावा खुद आवास विकास परिषद के अधिकारी दे रहे हैं। कमला नगर पॉश कॉलोनी में एमआईजी F 641 भवन है जिसे गलत तरीके से बेचने की तैयारी है।

एमआईजी F 641 भवन पर हुए भ्रष्टाचार का यह मामला सन 1998 से चल रहा है। अधिकारी गलत तथ्य प्रस्तुत करके अभी तक कोर्ट और उच्च अधिकारियों को भी गुमराह करते हुए नजर आ रहे हैं। करीब दो दशक से पीड़ित संजीव सिसोदिया इस लड़ाई को लड़ रहे हैं। अभी हाल ही में उन्होंने इसी साल की जून माह में प्रमुख सचिव आवास विकास शहरी एवं नियोजन लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखकर इस पूरे मामले की शिकायत की थी। तत्कालीन प्रमुख सचिव ने भी इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया था। क्योंकि इस पूरे मामले में तत्कालीन आगरा में रहे आवास विकास परिषद के अधिशासी अभियंता सतेंद्र कुमार पचौरी और उप आवास आयुक्त लक्ष्मण प्रसाद के नाम शामिल हैं।
इस पूरे मामले की जांच के आदेश प्रमुख सचिव ने आवास आयुक्त को दिए थे और इस पूरे मामले में रिपोर्ट तलब की थी। इस मामले की रिपोर्ट भले ही नही आई हो लेकिन भ्रष्ट अधिकारी अपनी गर्दन को फसाने के लिए इस भवन की रजिस्ट्री करने में जुट गए हैं।
बताया जाता है कि इस पूरे खेल में जुड़े भ्रष्ट अधिकारियों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए एक भू माफिया हलेश के नाम इस भवन को करा दिया था लेकिन जो तथ्य हलेश कुमार ने प्रस्तुत किए थे वह झूठे निकले हैं। हलेश कुमार ने भी इस भवन की पावर ऑफ अटॉर्नी दूसरे भूमाफिया अनिल कुमार जो आवास विकास का निवासी है उसके नाम कर चुका है लेकिन किसी भी भवन की पावर ऑफ अटॉर्नी केवल ब्लड रिलेशन में ही होती है।
बताया जाता है कि संजीव सिसोदिया नाम के व्यक्ति को तत्कालीन कमिश्नर रविशंकर ने विनिमय अधिनियम 48 की पावर का इस्तेमाल करते हुए अलॉट किया था लेकिन कुछ दिनों बाद पुष्पा देवी जिनका विवाद आवाज विकास से भूमि अर्जन मामले में चल रहा था उस विवाद में कोर्ट ने आवास विकास पर ₹41000 की रिकवरी निकाली थी। आवास विकास ने पुष्पा देवी की जमीन को अधिग्रहण किया था लेकिन भुगतान नहीं किया था। इस मामले से बचने के लिए तत्कालीन आवाज विकास के अधिशासी अभियंता सत्येंद्र कुमार ने कोर्ट में एफ 641 mig1 कमला नगर को खाली बताकर और कोई विवाद ना होने का हवाला देकर कोर्ट से अटैच करा दिया। पीड़ित संजीव सिसोदिया ने इस मामले की शिकायत तत्कालीन सुपरिटेंडेंट इंजीनियर हरि गोपाल से की थी उन्होंने अपनी जांच कराई और सहायक अभियंता को दोषी पाया। उन्होंने इस मामले में जिला जज के यहां अपील की और अटैच हुए भवन की नीलामी को गलत बताते हुए उसे निरस्त करा दिया और स्टे ले लिया। इतना ही नहीं तत्कालीन सुपरिटेंडेंट इंजीनियर हरि गोपाल ने दोषी सहायक अभियंता की एसीआर लिखी और उसमें लिखा कि सहायक अभियंता सत्येंद्र कुमार भू माफिया है और उसे दोबारा आगरा में तैनाती ना दी जाए।
तभी से लगातार आवास विकास का यह भ्रष्ट अधिकारी अपनी गर्दन बचाने और अपने आप को निर्दोष साबित करने के लिए हर वह गलत कार्य को अंजाम अपने साथियों के साथ दिलवा रहा है जिससे कि वह सही साबित हो सके और पीड़ित जो दो दशक से इस लड़ाई को लड़ रहा है वह झूठा साबित हो जाए फिलहाल पीड़ित संजीव सिसोदिया ने हार नहीं मानी है। उनका कहना है कि यह लड़ाई झूठ और सच की है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने का आह्वान करते हैं। उन्हीं बातों से प्रेरित होकर अब इस लड़ाई को जंग की तरह लड़ा जाएगा।