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रोडवेज़ परिचालक भर्ती घोटाले की रिपोर्ट में फंसी कई अधिकारियों की गर्दन

by admin

आगरा। सन 2010-12 के बीच में आगरा रोडवेज रीजन में परिचालकों की बड़े पैमाने पर हुए भर्ती घोटाले में अब तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक नीरज सक्सेना की गर्दन फंसती हुई नजर आ रही है। इस भर्ती घोटाले की शिकायत तत्कालीन आगरा रीजन के क्षेत्रीय प्रबंधक वित्त प्रवीण कुमार और अनिल कुमार अग्रवाल ने की थी। लेकिन इस बीच इन शिकायतों पर कोई भी कार्यवाही नहीं हुई। जिसके बाद दोनों ने मिलकर आगरा के कमिश्नर के. राममोहन राव से इस बड़े घोटाले की शिकायत की। कमिश्नर के राममोहन राव ने इस मामले की एसीएम तृतीय सुरेंद्र सिंह को सौंप दी थी। एसीएम तृतीय सुरेंद्र सिंह ने अपनी जांच रिपोर्ट कमिश्नर को सौप दी है। जिसमें तत्कालीन आगरा रीजन के क्षेत्रीय प्रबंधक नीरज सक्सेना और संबंधित विभागीय अधिकारी दोषी पाए गए हैं। इस रिपोर्ट के आने के बाद तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक नीरज सक्सेना की मुश्किलें बढ़ गयी है।

आपको बताते चलें कि 2010 और 2012 के बीच आगरा रोडवेज में परिचालक के रूप में 300 पीआरडी जवानों को भर्ती किया गया था। जिला युवा कल्याण एवं प्रादेशिक विकास अधिकारी बुलंदशहर के यहां से इन सभी पीआरडी जवानों के प्रमाण पत्र जारी किए गए थे जो प्रमाण पत्र फर्जी थे। पीआरडी जवानों की भर्ती के लिए तत्कालीन अधिकारियों ने रोडवेज विभाग के सारे नियमों को ताक पर रख दिया था। इतना ही नहीं जिन पीआरडी जवानों ने अपने प्रमाण पत्र लगाए वह आगरा मंडल के नहीं बल्कि मेरठ मंडल के थे फिर भी इनकी भर्तियां कर दी गई।

एसीएम सुरेंद्र सिंह ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि परिचालकों की भर्ती में नियमों का पालन नहीं हुआ है। नीरज सक्सेना के साथ भर्ती में शामिल सभी अधिकारियों खिलाफ FIR कराई जाए। उस समय भर्ती हुए चालक परिचालको का भी निष्कासन की कार्रवाई होनी चाहिए।

इस फर्जीवाड़े की लड़ाई लड़ रहे रोडवेज अधिकारी प्रवीण कुमार और अनिल कुमार अग्रवाल का कहना है कि अब एसीएम तृतीय की जांच रिपोर्ट आ गई है जिसमें तत्कालीन आगरा रीजन के प्रबंधक क्षेत्रीय प्रबंधक और अन्य अधिकारी दोषी पाए गए हैं। जांच रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि इनके खिलाफ रिपोर्ट होनी चाहिए। अगर रिपोर्ट दर्ज करने में देरी हुई तो वह खुद कोर्ट के माध्यम से रिपोर्ट दर्ज कराएंगे।

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