छत्तीसगढ़ के नारायणपुर डिस्ट्रिक्ट में मंगलवार को नक्सलियों ने DRG (district reserve guard) जवानों से भरी बस में धमाका कर दिया। ब्लास्ट में 5 जवान शहीद हो गए वहीं 14 घायल बताए गए। धमाके के समय बस में 24 जवान मौजूद थे। घटना की सूचना मिलते ही बैकअप फोर्स को रवाना किया गया। दरअसल यह सभी जवान एक ऑपरेशन के बाद लौट रहे थे। छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इस घटना की पुष्टि की गई है।
आई जी पी.सुंदरराज ने बताया कि नारायणपुर में नक्सल विरोधी अभियान के बाद DRG( defence reserve guard) फोर्स वापस लौट रही थी। उसी दौरान एक IED ब्लास्ट में बस के ड्राइवर समेत 5 जवान शहीद हो गए। इस घटना में दो जवान गंभीर रूप से ज़ख्मी हैं।बताया गया कि 1 जवान के अस्पताल में ही मौत हो गई हालांकि गंभीर रूप से घायल एक जवान का इलाज अभी भी जारी है। अलावा इनके घटना में 12 और जवानों को गंभीर चोटें आई हैं। जख्मी जवानों को एयर फोर्स के हेलीकॉप्टर से रायपुर भेजा गया है।
ब्लास्ट में शहीद होने वाले जवानों के नाम ग्राम कसावाही निवासी प्रधान आरक्षक वजय लाल उइके, अंतागढ़ निवासी ड्राइवर करण तिहारी, कांकेर निवासी सेवक सलाम, बहीगांव निवासी पवन मंडावी और नारायण पुर निवासी विजय पटेल है।मिली सूचना के मुताबिक,जिले के कड़ेनार इलाके में धौड़ाई और पल्लेनार के बीच घना जंगल पड़ता है। जहां नक्सलियों ने घात लगाकर बस को निशाना बना लिया और आईईडी ब्लास्ट किया। हालांकि अभी शहीदों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। घटनास्थल पर अतिरिक्त रिइंफोर्समेंट टीम भी भेजी गई।
बता दें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस हमले की घोर निंदा की। साथ ही कहा कि नक्सलियों का राज्य में वर्चस्व कम होता जा रहा है। अब सरकार नक्सल विरोधी अभियान चलाकर नक्सलियों का खात्मा करेगी। वहीं राज्यपाल अनुसुइया उइके ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनकी शहादत पर दुख जाहिर किया।इसके साथ ही नक्सल विरोधी अभियान के DG अशोक जुनेजा ने कहा कि DRG की टीम करीब शाम 4.15 बजे एक ऑपरेशन से वापस लौट रही थी, इस दौरान ही नक्सलियों ने तीन IED ब्लास्ट किए। जिसके चलते 5 जवान शहीद हो गए और अन्य घायल हैं।
दरअसल 17 मार्च को नक्सलियों ने शांति वार्ता का प्रस्ताव सरकार के सामने रखा था। नक्सलियों ने विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि वे जनता की भलाई के लिए अब छत्तीसगढ़ सरकार से बातचीत करने के लिए तैयार हैं। यहां तक कि बातचीत के लिए उन्होंने तीन शर्ते भी रखी थीं। जिसमें सशस्त्र बलों को हटाने, माओवादी संगठनों पर लगे प्रतिबंध हटाने और जेल में बंद उनके नेताओं की बिना शर्त रिहाई की मांगें शामिल थीं।