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‘आजाद’ के संघर्ष की याद दिलाने वाले जर्जर हो चुकी इस कोठी को संग्रहालय बनाने को तैयार है नगर निगम

by admin

आगरा। देश की आजादी की गाथा के पन्नों को अगर पलटा जाए तो उसमें आगरा का नाम जरूर मिलता है। क्योंकि आजादी की क्रांति में के दौरान अंग्रेजी हुकूमत को लोहे के चने चबाने वाले भगत सिंह का आगरा से गहरा नाता रहा है। सरदार भगत सिंह अपने साथियों के साथ कुछ समय आगरा में गुजरा था वो यहां नूरी दरवाजे स्थित एक कोठी में रुके थे। अपने साथियों के साथ उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को हिलाने के लिए बम बनाए। आगरा व उसके आसपास के जंगलों में हथियारों से निशाना लगाने का अभ्यास करते थे लेकिन शहर की जिस कोठी में वे रहे आज वो सरकार और प्रशासन की उदासीनता की शिकार है।

आगरा के नूरी दरवाजा स्थित कोठी में उन्होंने अज्ञातवास गुजरा था। ये जगह आज भी शहीद भगत सिंह की यादों को संजोए बैठी है और उसे अब भगत सिंह द्वार से जाना जाता है। इस क्षेत्र में आज भी वो इमारत है, जहां सरदार भगत सिंह ने एक वर्ष का समय बिताया था, लेकिन आज ये इमारत बेहद जर्जर हो चुकी है। आज तक इस इमारत के जीर्णोद्धार के लिए किसी भी जनप्रतिनिधि, समाजसेवी संस्था और प्रशासन ने कोई भी कदम नही बढ़ाया है।

बताया जाता है कि ब्रिटिश पुलिस ऑफिसर सांडर्स को मारने के बाद भगत सिंह अज्ञातवास के लिए आगरा आए थे। भगत सिंह ने नूरी दरवाजा स्थित मकान नंबर 1784 को लाला छन्नो मल को ढाई रुपए एडवांस देकर 5 रुपए महीने पर किराए पर लिया था। यहां सभी छात्र बनकर रह रहे थे, ताकि किसी को शक न हो। उन्‍होंने आगरा कॉलेज में बीए में एडमिशन भी ले लिया था।

आजादी के आंदोलन को जारी रखने और अंग्रेजी हुकूमत को हिलाने के लिए इस घर में बम फैक्‍ट्री लगाई और बम की टेस्टिंग जंगलों में होती थी। इसी मकान में बम बनाकर भगत सिंह ने असेम्बली में विस्फोट किया था। 8 अप्रैल, 1929 को अंग्रेजों ने सेफ्टी बिल और ट्रेड डिस्प्यूट्स बिल असेंबली में पेश किया था। ये बहुत ही दमनकारी कानून थे। इसके विरोध में भगत सिंह ने असेंबली में बम फोड़ा और ‘इंकलाब जिंदाबाद’ के नारे लगाए। इस काम में बटुकेश्‍वर दत्त भी भगत सिंह के साथ थे। घटना के बाद दोनों ने वहीं सरेंडर भी कर दिया। इसी केस में 23 मार्च 1931 को लाहौर के सेंट्रल जेल में भगत सिंह को फांसी दे दी गई और बटुकेश्‍वर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

भगत सिंह जिस हवेली में रहे वो कभी भी ज़मींदोज़ हो सकती है। इस हवेली का मालिकाना हक रखने वाले राजेश अग्रवाल कहते हैं कि अगर सरकार इसे अधिग्रहीत कर संग्रहालय बनाए तो हम पूरा सहयोग देने के लिए तैयार हैं।

इस पूरे मामले को लेकर महापौर नवीन जैन का कहना है कि ये काफी पुरानी कोठी है लेकिन उस कोठी पर मालिकाना हक निगम का नहीं है। अगर उस कोठी का मालिकाना हक मिल जाएगा तो उस जगह शहीद भगत सिंह की स्मृति में भव्य संग्रहालय बनाने को नगर निगम तैयार हैं।

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