आगरा। दो दिन पूर्व अंडमान निकोबार के विशाखापत्तनम के जहाज में हुए एक हादसे के दौरान शहीद हुए आगरा के लाल का पार्थिव शरीर रविवार को जैसे ही आगरा पहुँचा तो हजारों की संख्या में लोग ग्वालियर रोड पर पहुँच गए। हजारों की संख्या में युवा वर्ग हाथों में तिरंगा लेकर नौसेना जवान के पार्थिव शरीर के आगे चल रहे थे। चारों ओर भारत माता की जय और शहीद प्रवेंद्र सिंह अमर रहे के नारे गूँजने लगे। हजारों की संख्या में पहुँचे लोग शहीद के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े। इस दौरान हर व्यक्ति की आंख नम नजर आई। शहीद के पार्थिव शरीर को देखकर किसी की आंख से आंसू थम नही रहे थे। शहीद प्रवेंद्र का शव जैसे ही उनके पैतृक गांव पहुँचा तो तिरंगे में लिपटे देख परिवार की महिलाएं बुरी तरह टूट गयी। चारों ओर सिर्फ प्रवेंद्र के नाम की गूंज सुनाई दे रही थी।

शहीद का अंतिम संस्कार पैतृक गांव में ही किया गया। शहीद प्रवेंद्र को श्रद्धांजलि देने के लिए राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह, राज्यमंत्री जीएस धर्मेश, विधायक जितेंद्र वर्मा, जिला अध्यक्ष गिर्राज सिंह कुशवाहा, रालोद जिला अध्यक्ष मालती चौधरी सहित पुलिस व प्रशासन के अधिकारी पहुँचे। सभी लोगों ने अंत्येष्टि से पहले शहीद प्रवेंद्र को श्रद्धांजलि दी। शहीद प्रवेंद्र के भतीजे ने प्रवेंद्र के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। शहीद के अंतिम संस्कार तक पूरे गांव में भारत माता की जय और शहीद प्रवेंद्र अमर रहे के नारे गूंजने लगे। हर किसी की आंखें हैं इस दौरान नजर आएं और हर कोई इस पीड़ित परिवार को सांत्वना देते हुए दिखाई दिया।
मुबारकपुर निवासी शहीद प्रवेंद्र की 2018 में नौ सेना में भर्ती हुई थी। शहीद प्रवेंद्र सिंह इस समय एसएसआर पद पर तैनात थे, 2 दिन पहले विशाखापट्टनम से अंडमान निकोबार जा रहे नौसेन के जहाज में कोई हादसा हो गया जिसमें प्रवेंद्र की मौत हो गई। बताया जाता है कि प्रवीण घर में सबसे छोटा था इस हादसे के बाद से परिवार में कोहराम मचा हुआ है।
शहीद के अंतिम संस्कार के मौके पर ग्रामीणों द्वारा पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद देने की भी मांग की गई। राज्यमंत्री उदय भान सिंह ने ग्रामीणों को आर्थिक मदद का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि अभी तक जितने भी शहीदों को सरकार के द्वारा जो आर्थिक मदद मिलती आई है वहीं आर्थिक मदद इस परिवार को भी मिलेगी।
राज्यमंत्री जीएस धर्मेश का कहना था कि 19 साल की उम्र में ही प्रवेंद्र शहीद हो गया, इस कमी को कोई भी पूरा नहीं कर सकता है लेकिन जो सम्मान शहीद और उसके परिवार को मिलना चाहिए वह सम्मान इस परिवार को जरूर मिलता रहेगा।
शहीद के पिता का कहना था कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। देश सेवा के दौरान ही उसकी शहादत हुई है। इस शहादत ने उनके सर को गर्व से ऊंचा उठा दिया है लेकिन प्रवेंद्र की कमी उन्हें हमेशा रहेगी।