आगरा। ‘जो दुनिया को जीतता है वह वीर और सभी विद्याओं को जीतने वाला ही महावीर यानि हनुमान जी है। महावीर बिनवऊं हनुमाना, राम जासु जस आप बखाना…’ दोहे की व्याख्या करते हुए आज श्रीहरि सत्संग समिति द्वारा आरबीएस कालेज सभागार में सुन्दरकाण्ड मीमांसा के अंतिम दिन संत अतुल कृष्ण भारद्वाज ने कहा कि सुन्दरकाण्ड की यात्रा में महावीर हनुमान ने लोभ, अहंकार और ईष्या रूपी बाधा बाधा के रूप में सुमेरू पर्वत, सुरसा और सिहिंकी राक्षसी को पार किया।
उन्होंने कहा कि मनुष्य जब प्रगति के मार्ग पर बढ़ता है तो उसके मन की बाधाएं है यह। मन ही मनुष्य का मित्र और शत्रु दोनों है। मन विद्या में है तो मित्र, अविद्या में है तो शत्रु। जिसकी बुद्धि में धैर्य होता होता वहीं इन बाधाओं को पार कर पाता है। लोग अपनी बुद्धि के दोष को न देखकर दूसरों के दोष ही देखते हैं। जबकि धैर्यवान मनुष्य अपने दोषों का भी विश्लेषण पहले करता है। विद्या बंधनों से मुक्त और अविद्या बंधनों में डुबोती है।
श्रीगुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुरु सुधार… दोहे की व्याख्या करते हुए कहा किजीवन में प्रगति के लिए दूसरों को सुधारने से पहले खुद का विश्लेषण करना चाहिए। रामचरित मानस की तीन अविद्या सुर्पनखा (काम) मंथरा (लोभ) और ताड़का (क्रोध) का प्रतीक है। कथा में गुरु की महिमा हरि सो भारी, वेद पुराण सबहि विचारी…, कोटि पाप कटे पल दिन में जो गुरु कृपा करे…, बाजे रे मुरलिया बाजे… भजनों पर हर भक्त श्रीहनुमान जी की भक्ति में डूबा नजर आया।
सर्वाधिक ज्योतिर्लिंग इसलिए नाम महाराष्ट्र
शिवजी का अंश होने के कारण श्रीहनुमान जी को महावीर हनुमान भी कहा जाता है। सर्वाधिक ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में हैं, इसलिए नाम महाराष्ट्र है। संत अतुल कृष्ण भारद्वाज ने रानी रत्नावती की कथा सुनाते हुए भक्ति की शक्ति की व्याख्या की। रानी रत्नावती के पति राजा माधोसिंह ने वृन्दावन में गोविन्द देव जी के सात मंजिला मंदिर की स्थापना की। लेकिन औरंगजेब के समय चार मंजिला तोड़ दी गईं और भगवान के विग्रह को जयपुर स्थित गोविन्ददेव के मंदिर में स्थापित किया। बांके बिहारी जी की मूर्ति को भरतपुर किले में ले जाया गया। वर्तमान विग्रह को कलकत्ता के सेठ ने स्थापित किया। मदनमोहन जी करौली और गोपालजी चरखारी चले गए।
मसक समान रूप कपि धरहि…
संत अतुल कृष्ण भारद्वाज ने मसक समान रूप कपि धरहि… दोहे के व्याख्या करते हुए बताया कि मसक का अर्थ मच्छर भी होता है और बिल्ली भी। एक शब्द के कई अर्थ हो सकते हैं। बांसुरी में बैठकर श्रीमद्भागवत कथा सुनने वाले असुर को लेने पहुंचे भगवान के विमान प्रसंग की व्याख्या करते हुए बताया कि भगवान भक्त की जाति, धर्म और कुल नहीं देखते। वह भक्त के मन की भावना देखते हैं। आज कहीं कोई भेदभाव नहीं हैं। किसी भी होटल में या दावत में खाना खाते वक्त कोई नहीं पूछता कि किसने खाना बनाया। लेकिन बाते सिर्फ समाज को बांटने के लिए बढ़ाई जा रही है।
साथ ही निर्मल मन जन सो मोहि भावा, मोहि छल कपट छिद्र न भावा… दोहे के माध्यम से बताया कि भगवान को सिर्फ सरलता भाती है। मीरा बाई ने संत रविदास को अपना गुरु बनाया और पायो जी मैंने राम रतन धन पायो लिख दिया। संत रविदास के भक्ति की सरलता ही थी जिसके कारण मन चंगा को कठौती में गंगा थी।
इस अवसर पर विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल, उमेश कंसल, पवन अग्रवाल, सतीश अग्रवाल, अनिल अग्रवाल, मुन्नालाल गर्ग, प्रमोद चौहान, विवेक मोहन, संजीव गोयल, अध्यक्ष शांति स्वरूप गोयल, महामंत्री भगवान दास बंसल व संयोजक संजय गोयल, श्यामसुन्दर राधाबल्लभ अग्रवाल, प्रवीन अग्रवाल, रमेश मित्तल, रंगेश त्यागी, उमेश अग्रवाल, संजय मित्तल, विष्णुदयाल बंसल, उमेश बंसल, सीमा अग्रवाल, रश्मि अग्रवाल, मधु अग्रवाल, उर्मिल अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।