Home आगरा द्रवहि वचन सुनि कुनिस पषाड़ा…, सुन्दरकाण्ड की संगीतमय चौपाईयों पर झूमें भक्तजन

द्रवहि वचन सुनि कुनिस पषाड़ा…, सुन्दरकाण्ड की संगीतमय चौपाईयों पर झूमें भक्तजन

by admin

आगरा। चित्रकूट की परिक्रमा में भरत मिलाप का जो वास्तवित स्थान है वहां भरत के मुख से श्रीराम का नाम सुन पहाड़ पिघलते थे और फिर जम जाते हैं। इस बात की गवाही आज भी चित्रकूट के पत्थर देते नजर आते हैं। यानि वज्र जैसे पहाड़ भी जिनके वचन सुनकर द्रवित हो गए, श्रीराम को सबसे प्रिय थे। श्रीहरि सत्संग समिति द्वारा तीन दिवसीय सुन्दरकाण्ड मीमांसा (श्रीराम कथा) में आज प्रथम दिन संत अतुल कृष्ण भारद्वाज ने भरत चरित्र और श्रीहनुमान की भक्ति का वर्णन किया।

कहा कि भरत जी जब चित्रकूट आए तो उन्होंने प्रयागराज से एक वर मांगा। जिसमें उन्होंने मनुष्य के चारों पुरुषार्थ अर्थ, धर्म, काम मोक्ष नहीं बल्कि हमेशा श्रीराम के चरणों में रहने की रति (प्रेम) को मांगा। जमन-जनम रति राम पग, यह वरदान दयान… दोहे के माध्यम से बताया कि जहां हमारी रुचि होगी वैसी ही हमारी मति होगा। और जैसी हमारी मति होगी वैसी ही हमारी गति होगी।

उन्होंने कहा कि मन को निर्मल करने के लिए सबसे बड़ा यज्ञ ज्ञान यज्ञ है। ज्ञान वो है जो मनुष्य के सभी दोषों को दूर कर दे। जानकार और ज्ञानी होने में अंतर है। ऐसे लोग जो ज्ञान को जीवन में जीते हैं, हमने उन्हें हंस (परमहंस) कहा। कलयुग ध्यान लगाने का नहीं ध्यान रखने का युग है। यानि हम कैसा खा रहे हैं, कैसा सुन रहे हैं, कैसा देख रहे हैं, इन्हीं चीजों का ध्यान रखने पर हम अपने जीवन को हंस बना सकते हैं। अंत में आरती कर सभी भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया।

इस दौरान मौजूद रहे संघ के प्रांतीय प्रचारक हरीश रौलेता ने वर्तमान के कुछ किस्सों का उदाहरण देते हुए बताया कि राजा परिक्षित ने कलयुग के प्रभाव के 5000 वर्ष खुद मांग लिए थे लेकिन अभी 200 वर्ष ही बीतें हैं, विश्व में घट रही घटनाओं में कलयुग का प्रभाव नजर आने लगा है। कहा कि जिस दिन भारत में कथाएं होना बंद हो जाएगा, कलयुग अपना असली रूप दिखाने लगेगा। कथाओं के माध्यम से ही कलयुग के प्रभाव से मुक्त रहा जा सकता है।

इस अवसर पर मुख्य यजमान डीपी अग्रवाल, उमा देवी, उमेश अग्रवाल, सुदेश अग्रवाल, समिति के अध्यक्ष शांति स्वरूप गोयल, महामंत्री भगवान दास बंसल व संयोजक संजय गोयल, श्यामसुन्दर राधाबल्लभ अग्रवाल, प्रवीन अग्रवाल, रमेश मित्तल, रंगेश त्यागी, उमेश अग्रवाल, संजय मित्तल, विष्णुदयाल बंसल, उमेश बंसल, सीमा अग्रवाल, रश्मि अग्रवाल, मधु अग्रवाल, उर्मिल अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।

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