आगरा। इसे विधि का विधान कहें या परिवारीजनों का ईश्वर पर अटूट विश्वास कि परिवार से बिछुड़ा हुआ युवक एक दशक बाद अनायास ही उन्हें मिल गया। यह परिजनों के लिए किसी सपने से कम नहीं था।
मामला फतेहाबाद के बिलोनी गांव का है। इस गांव का एक 14 वर्षीय किशोर दिल्ली में काम की तलाश में गया था लेकिन अचानक से ही लापता हो गया। 10 साल के लंबे अंतराल के बाद वह ग्रेटर नोएडा में किसी किसान की भैंसो को चराता हुआ युवक परिजनों को मिल गया। जिसके बाद से परिजनों का खुशी का ठिकाना नही है। परिजन अपने इस पुत्र को लेकर अपने गांव पहुँचे जहां खुशियों का माहौल बना हुआ है। रिश्ते नातेदार उसे देखने के लिए उसके घर पहुँच रहे है।
फतेहाबाद के ग्राम बिलोनी निवासी सुरेंद्र पुत्र राधेश्याम बघेल अपने जीजा हरिओम निवासी मानिकपुरा के साथ 1 जनवरी 2009 को दिल्ली में काम की तलाश के लिए गया जहां वह कोहरे के कारण हरिओम से बिछड़ गया। बड़ी तलाश के बाद भी जब वह नहीं मिला तो उसने सुरेंद्र के परिजनों को इसकी सूचना दी। सुरेंद्र के भाई सत्यप्रकाश ने भी उसे ढूंढने का प्रयास किया। 3-4 साल तक लगातार वह देश के कोने कोने में उसे ढूंढता रहा। बाद में उसने नियति का फैसला मानकर सुरेंद्र की आने की आशा छोड़ दी थी और सत्यप्रकाश गुजरात में नौकरी करने चला गया। 3-4 दिन पूर्व बिलौनी के प्रधान प्रतिनिधि हरिओम सिंह चौहान के मोबाइल पर आगरा से उनके मित्र का फोन आया कि बिलौनी का एक युवक नोएडा के धरवडा गांव में है जो किसी किसान की गायों को चराता है। जिस पर हरिओम चौहान नोएडा में कुछ लोगों ने वीडिओ कॉल करके उसे दिखाया तो वह उसे पहचान गये। हरिओम चौहान ने इसकी जानकारी गुजरात में सत्यप्रकाश को दी। बाद में सभी लोग नोएडा पहुंच गये जहां से उसे लेकर आये।
सुरेंद्र का अपने परिजनों तक पहुंचना भी किसी कहानी से कम नहीं। सुरेंद्र ने गाय चराते समय एक अन्य चरवाहे से अपनी आप बीती सुनायी और अपने गांव का नाम बिलौनी आगरा बताया। जिस पर उस चरवाहे ने अपने लडकों को इसकी जानकारी दी। उन्होंने आगरा में अपने दोस्तों को इस बाबत बताया। जिस पर आगरा से ही प्रधान प्रतिनिधि हरिओम चौहान के मित्रों ने इसकी सूचना हरिओम को दी थी। इसी तरह परिजनों को इसकी सूचना मिल सकी। जब वह घर पहुंचा तो उसके घर बधाई देने वालों का तांता लग गया। वहीं उसके रिश्तेदार भी गांव आ गये।