आगरा। ‘संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी चिकित्सक थे और द्वितीय सरसंघचालक गुरुजी शिक्षक थे, इसलिए संघ का इन दोनों वर्गों से बहुत ही गहरा रिश्ता है। हमारे धर्म में जिसके प्रति श्रद्धा भाव प्रकट करना हो, तो उसके प्रति माँ शब्द का का प्रयोग करते है। दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं है जो अपने नाम में माता शब्द का प्रयोग करता हो वो एकमेव भारत देश ही है।’ यह कहना था यह कहना था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अ.भा. संपर्क प्रमुख रामलाल जी का।

आरएसएस के रामलाल बुधवार को खंदारी स्थित जेपी सभागार में आगरा विभाग के तत्वावधान में आयोजित चिकित्सक व शिक्षकों की प्रबुद्ध संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आज समाज को जातियों में बांटने का कार्य होता है, विशेषतः हिन्दू को। हमें इससे सावधान रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संघ में 1 घंटे एक जगह शाखा में एकत्रित होकर भारतीय संस्कृति के प्रतीक भगवा ध्वज के समक्ष अपना शारीरिक, मानसिक, चारित्रिक विकास करना ही संघ का कार्य है। बीबीसी ने 90 के दशक में एक क्विज प्रतियोगिता में कहा था कि दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है। संघ ही एक ऐसा संगठन है जिसमे शिशु से प्रौढ़ सभी आते हैं। संघ सर्वस्पर्शी व सर्वसमावेशी संघ ही है। संघ झुग्गी झोपड़ी से लेकर पॉश कॉलोनी तक में चलता है। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि “I want a man with capital M” अर्थात विशेष गुणों से युक्त व्यक्ति चाहिए। भारत के पूर्व राष्ट्रपति- एपीजे अब्दुल कलाम जी ने कहा था कि यदि देश के सभी लोगों को राष्ट्रीयकृत कर दिया जाए तो सारी समस्याये खत्म हो जाएगी।

रामलाल जी ने कहा कि एक व्यक्तिगत चरित्र, दूसरा राष्ट्रीय चरित्र दोनों चरित्र परस्पर पूरक है। डॉ हेडगेवार ने कहा था कि ‘मैं कोई अलग कार्य नहीं कर रहा। हमारी भारतीय संस्कृति की जो समृद्ध परंपरा है वो आज के लोग भूलते जा रहे है, मैं बस उसी को हिन्दू समाज को स्मरण करने का कार्य कर रहा हूँ।’
रामलाल जी ने कहा कि कोरोना समय मे भारत ने कोरोना की दवा को विदेशों में भेजकर वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया। देश में एक राष्ट्रीयता का उदय हुआ है, जिस कारण नेटवर्किंग और इको सिस्टम की वजह से विकृत मानसिकता का समूह भारत को तोड़ने का प्रयास करता रहता है और कोई पत्रकार भी राष्ट्रीयता की बात करे तो उस पर भी हमलावर रहता हैं। वर्तमान समय में एक जागरूक समाज की आवश्यकता है, हम जहां भी हो वहां जागरूक नागरिक होने का परिचय दें। देश की सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक तीनो शक्तियां मिलकर आने वाले समय में भारत विश्व का मार्गदर्शन करेगा।