Agra. जैतपुर के क्यारी धर्मशाला, महुआशाला, सहित कई गांवों में गलत रीडिंग का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। पहले गलत विद्युत बिल को लेकर ग्रामीणों ने विद्युत विभाग के खिलाफ मोर्चा खोला था तो अब निलंबित हुए मीटर रीडर ने भी विद्युत विभाग के साथ व क्षेत्र में मीटर रीडिंग का काम देख रही प्राइवेट कंपनी फ्लूएंटग्रिड के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पीड़ित का कहना है कि विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। जब उन्होंने सुपरवाइजर सुधीर यादव द्वारा गलत रीडिंग बनाकर बिल भेजने का दवाब बनाने और ग्रामीणों के आक्रोशित होने की शिकायत एमडी ऑफिस सहित मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री की तो उन्हें ही सच बोलने और शिकायत करने का खामियाजा भुगतना पड़ा और उन्हें नौकरी से हटा दिया गया।
फ्लूएंटग्रिड कंपनी के कर्मचारी पूर्व मीटर रीडर भानु प्रताप का कहना है कि कंपनी के सुपरवाइजर सुधीर यादव के कहने पर ही गलत रीडिंग के बिल बना कर उपभोक्ताओं के घर भेजे जाते थे, जब ग्रामीणों ने गलत रीडिंग का विरोध किया तो उन्होंने इस विरोध की जानकारी उन्हें दी लेकिन इसके बावजूद उन पर गलत रीडिंग बनाकर बिल भेजने का दबाव बनाते रहे। इस संबंध में उन्होंने फ्लूएंटग्रिड कंपनी के सर्किल हैड से भी शिकायत की तो उन्होंने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया और सुधीर यादव के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं। मामला तेजी के साथ उछला और ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता गया तो उनकी शिकायत पर विद्युत विभाग की टीम आई और इस पूरे मामले की जांच की तो उन्होंने भी पाया कि कंपनी द्वारा गलत रीडिंग बनाकर बिल भेजे जा रहे हैं।
पीड़ित ने बताया कि उन्होंने फ्लूएंटग्रिड कंपनी के सुपरवाइजर सुधीर यादव द्वारा उन पर दबाव बनाकर गलत रीडिंग के बिल उपभोक्ताओं के घर भेजने की पहली शिकायत 27 सितंबर को एक्सईएन देवेंद्र वर्मा को की थी, इसके बाद 30 सितंबर को एमडी ऑफिस में पूरे साक्ष्यों के साथ लिखित में शिकायत की गयी लेकिन उनकी शिकायत पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया। इसके बाद उन्होंने 9 अक्टूबर को ऊर्जा मंत्री वह मुख्यमंत्री को ट्वीट किए लेकिन विभाग ने लोगों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए फ्लूएंटग्रिड कंपनी के सुपरवाइजर सुधीर यादव पर तो कोई कार्यवाही नहीं की बल्कि उन्हें ही दोषी बनाकर नौकरी से निकाल दिया और जो दोषी अधिकारी था वह अभी भी उसी पद पर रहकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है।
पीड़ित भानु प्रताप का कहना है कि वह इस लड़ाई को जारी रखेंगे जिससे उन्हें इंसाफ मिल सके लेकिन विभाग ने शिकायतकर्ता को ही जिस तरह से दोषी ठहराया है उसको लेकर उन्होंने विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल जरूर खड़े किए हैं।