कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मानवाधिकार आयोग ने शिक्षकों की समस्या को गंभीरता से लिया है। दरअसल राज्य मानवाधिकार आयोग में बेसिक शिक्षकों को जबरन स्कूल में बुलाए जाने पर ऐतराज जाहिर किया है। इतना ही नहीं बल्कि आयोग ने अत्यंत आकस्मिक और अपरिहार्य स्थिति में ही शिक्षकों को स्कूल में बुलाई जाने का आदेश देने की अपील की है। इसके लिए आयोग ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा को नोटिस देकर 1 हफ्ते में जवाब मांगा है।
मानवाधिकार आयोग ने मीडिया रिपोर्ट के जरिए इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया । बढ़ते कोरोना संक्रमण के बावजूद कई स्थानों पर शासनादेश के विपरीत शिक्षकों को प्रशासनिक कार्यों के लिए स्कूल बुलाया जा रहा है जिससे शिक्षकों में भारी आक्रोश है। सोशल मीडिया पर कई शिक्षक अपना रोष जाहिर कर चुके हैं। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां शिक्षक का स्वास्थ्य ठीक ना होने के बावजूद भी उन्हें त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव ड्यूटी पर भेज दिया गया और इससे उनकी हालत बिगड़ी यहां तक की कई मामले ऐसे हैं जिनमें मौत तक हो चुकी है।
मानवाधिकार आयोग के सदस्य ओपीडी क्षेत्र में नोटिस में मीडिया की रिपोर्ट को स्पष्ट करते हुए कहा कि बेसिक शिक्षकों को शासन की तय नीति का उल्लंघन कर अकारण ही बेसिक स्कूलों में उपस्थित होने के लिए बाध्य किया जा रहा है। बेसिक शिक्षा के शिक्षक अमूमन कमजोर आर्थिक स्थिति के कर्मचारी हैं जिनके पास वर्तमान समय में कोविड-19 तिथि में बीमार होने की दशा में इलाज के लिए समुचित संसाधन भी उपलब्ध नहीं हैं।
आयोग ने कहा कि अपर मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा अपने स्तर से आदेश जारी कर यह सुनिश्चत कराएं कि केवल आकस्मिक व अपरिहार्य स्थिति में ही किसी शिक्षकों को स्कूलों में उपस्थित होने के लिए बुलाया जाए। ऐसे शिक्षकों को वर्तमान स्थिति में शासन की मंशा के अनुरूप विद्यालय में बुलाकर कोरोना विस्फोट की स्थिति उत्पन्न न होने दी जाए। आयोग द्वारा अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा से 1 हफ्ते के अंदर इसका जवाब देने की मांग की गई है।